अजय सूर्यवंशी, जशपुर. नगर सरकार में अध्यक्ष पद को लेकर भाजपा में उठा पटक शुरू हो गया है. वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा को निकाय चुनावों में भी कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. किसी तरह पत्थलगांव और जशपुर ने पार्टी की नाक बचाई थी. पिछले दिनों हुई उठा पटक के बाद नगर पंचायत पत्थलगांव भी भाजपा के हाथों से फिसल चुकी है. अब यही हालात नगर पालिका जशपुर में भी बन रही है. जिलाध्यक्ष के बयान ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी है.

पूर्ण बहुमत होने के कारण फिलहाल पत्थलगांव में भाजपा के नगर सरकार को सीधा खतरा तो नजर नहीं आ रहा है, लेकिन अध्यक्ष पद को लेकर मचे घमासान ने जनता के बीच पार्टी की साख को जरूर नुकसान पहुंचाया है. भाजपा के पार्षदों ने मंगलवार को डैमेज कंट्रोल के इरादे से नगर पालिका के सभागार में पत्रकारवार्ता बुलाया, लेकिन यहां भी मीडिया के सवालों से नगर पालिका अध्यक्ष नरेश चंद्र साय कुछ ऐसे घिरे कि उन्हें जवाब ही नहीं सुझा. भाजपा पार्षदों ने प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि पार्षदों ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को बदले जाने की कोई मांग पार्टी से नहीं की है. उनका कहना था कि अध्यक्ष स्वास्थ्यगत कारणों और कोरोना महामारी के कारण जनसंपर्क नहीं कर पाए हैं, लेकिन नगर के विकास के लिए भाजपा के पार्षद उनके नेतृत्व में सक्रिय हैं.

पालिका अध्यक्ष बदलने की आई है मांग: जिलाध्यक्ष
नगर पालिका अध्यक्ष को लेकर भाजपा पार्षदों द्वारा किए जा रहे इन दावों की हवा खुद उनकी ही पार्टी के जिलाध्यक्ष रोहित साय ने निकाल दी. मीडिया को दिए गए एक बयान में रोहित साय ने स्वीकार किया कि अध्यक्ष नरेश चंद्र साय को बदले जाने की मांग पार्टी के सामने आई थी. इस पर पार्टी ने अंतिम निर्णय लेने की जिम्मेदारी पूर्व सांसद रणविजय सिंह जूदेव को सौंपा है. जाहिर है अपने सबसे मजबूत गढ़ में भाजपा की राजनीतिक मुश्किलें फिलहाल बढ़ती जा रही है. विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा इस मुश्किल से कैसे बाहर आती है, यह देखना होगा.