रायपुर- फसल बीमा करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी इफ्को-टोक्यो को ब्लैक लिस्टेड किए जाने को लेकर नोटिस जारी किया गया है. राज्य शासन ने कंपनी को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि एक हफ्ते के भीतर फसल बीमा भुगतान नहीं किए जाने पर ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाएगा. बताया गया है कि कंपनी ने राज्य के 20 से ज्यादा जिलों में फसल बीमा किया था. आपदा प्रभावित किसानों को जब मुआवजा देने की बारी आई तो कंपनी लगातार लेटलतीफी कर रही है. बताते हैं कि इफ्टो-टोक्यो कंपनी को बीमा भुगतान के लिए 276 करोड़ रूपए की राशि दी जानी है, लेकिन कंपनी ने अब तक महज 78 करोड़ रूपए ही बैंक को ट्रांसफर किया है. करीब दो सौ करोड़ रूपए की राशि दी जानी बाकी है.
राज्य में फसल बीमा करने वाली कंपनियों इफ्टो-टोक्यो और रिलायंस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने की मांग को लेकर किसान कांग्रेस ने कृषि संचालक कार्यालय का घेराव किया. किसान कांग्रेस के अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में फसल बीमा करने वाली कंपनी इफ्टो-टोक्यो और रिलायंस ने किसानों को ठगने का काम किया है. कई जिलों में फसल बीमा का एक रूपए भी किसानों को नहीं दिया गया. किसान फसल बीमा की राशि के लिए बांट जोह रहे हैं, लेकिन लगातार कंपनियों द्वारा लेटलतीफी की गई. शुक्ला ने कंपनी पर भुगतान नहीं करने की नियत रखने का भी आरोप लगाया. किसान कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार की फसल बीमा करने वाली कंपनियों के साथ गहरी सांठ-गांठ है.
इधर किसान कांग्रेस के घेराव और कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किए जाने के लिए जारी नोटिस पर कृषि संचालक एम एस केरकेट्टा ने लल्लूराम डाॅट काम से हुई बातचीत में कहा कि- दो साल का भुगतान बाकी है. कंपनी ने तय वक्त पर किसानों को बीमा की राशि का भुगतान नहीं किया था, लिहाजा इफ्टो-टोक्यो को नोटिस जारी कर एक हफ्ते का वक्त दिया गया है. इस नसीहत के साथ कि यदि एक हप्ते भीतर बीमित राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाएगा. रिलायंस कंपनी पर कार्ऱवाई को लेकर पूछे गए सवाल पर कृषि संचालक ने बताया कि कंपनी अच्छा काम कर रही है. रिलायंस कंपनी का सुकमा और सूरजपुर जिलों में ही भुगतान बाकी है, जिसे जल्द किए जाने को लेकर पत्र भेजा गया है.
टेंडर भी रद्द किया गया
कृषि विभाग के संचालक एम एस केरकेट्टा के मुताबिक साल 2018-19 के लिए टेंडर काॅल किया गया था. उसे फिलहाल निरस्त कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अब नए सिरे से टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. अखबारों में विज्ञापन देकर नया टेंडर निकाला जाएगा.
बीमा कंपनियों पर आरोप
आरोप है कि छत्तीसगढ़ में फसल बीमा करने वाली कंपनियों ने कई इलाकों में बड़ी गड़बड़ी की है. मौसम की मार पड़ने से किसानों के फसल नुकसान के बाद कंपनियों ने सोसाइटियों में बीमा की प्रीमियम राशि इस दलील के साथ लौटा दी कि बीमित राशि का भुगतान करना संभव नहीं है. फसल बीमा का लाभ वक्त पर किसानों को नहीं किए जाने के इस मामले में राज्य में राजनीति भी जमकर होती रही है. विपक्षी कांग्रेस ने इसे बड़ा सियासी मुद्दा बनाया हुआ है. सड़क से लेकर सदन तक फसल बीमा को लेकर सरकार पर आरोपों की बौछार होती रही है. हालांकि अब जब चुनाव सिर पर आ रहा है, तो ऐसी सूरत में सरकार किसी तरह का रिस्क उठाने की स्थिति में नहीं है, लिहाजा नाराज किसानों को भुगतान वक्त पर हो जाए, इसलिए शासन की ओर से बीमा करने वाली कंपनियों को फटकार लगने का सिलसिला शुरू हो गया है.