गुरुग्राम के दौलताबा औद्योगिक क्षेत्र में आग बुझाने के यंत्र बनाने वाली फैक्ट्री में शुक्रवार देर रात जोरदार ब्लास्ट के बाद भीषण आग लग गई. इस हादसे में 2 श्रमिकों की जलकर मौत हो गई, जबकि 6 लोग घायल हैं. घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दमकल विभाग की 10 से ज्यादा गाड़ियां रात से ही मौके पर मौजूद हैं.

शुक्रवार देर रात 2 बजे फैक्ट्री में आग लगी. आग इतनी भयानक थी कि 3 किलोमीटर दूर तक लपटें दिखाई दे रही थीं. आग की लपटें और धमाका इतनी तेज था कि कुछ लोग घटनास्थल से 100 मीटर से ज्यादा दूर पास की फैक्ट्रियों में पड़े मिले हैं. पुलिस और दमकल विभाग की टीमें अभी भी अंदर फंसे लोगों को रेस्क्यू करने में जुटी हैं. इस हादसे में आसपास की 10 से ज्यादा फैक्ट्रियों में लोहे के भारी गाटर, एंगल और लोहे की भारी चादरें तक गिर गई. इसमें भी भारी नुकसान हुआ है.

घटना की जानकारी मिलने के बाद सुबह मौके पर पहुंचे DCP करन गोयल ने इस हादसे में 2 लोगों के मरने और 6 लोगों के घायल होने की पुष्टि की है. इनमें से 2 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है.

सच साबित हुआ उद्यमियों डर

गुरुग्राम औद्योगिक क्षेत्र समेत शहर के कई उद्योगों को फायर NOC नहीं होने से गर्मी में आग की चिंता सता रही है. नगर निगम के दोहरे मापदंड को लेकर उद्यमी लंबे समय से परेशानी झेल रहे हैं. वहीं, आग की घटनाओं के बाद इंश्योरेंस कंपनियां नगर निगम के दमकल विभाग की ओर से दी जाने वाली फायर NOC न होने का हवाला देते हुए उद्योगों को आगजनी में हुए नुकसान की भरपाई भी नहीं करती हैं.

4 औद्योगिक क्षेत्रों में 1 हजार फैक्ट्रियां : गुरुग्राम शहर क्षेत्र में दौलताबाद, बसई, कादीपुर और बहरामपुर औद्योगिक क्षेत्र हैं. यहां पर नई औद्योगिक इकाइयां नगर निगम की फायर NOC के मापदंड का पालन कर रही हैं. इसमें औद्योगिक परिसर में आग बुझाने वाले यंत्र रखने के अलावा फायर हाईड्रेंड या पानी की टंकी और पंप का इंतजाम करना होता है. औद्योगिक परिसर में फायर सुरक्षा संबंधित पाइपलाइन भी बिछानी होती है. निगम से भवन पूर्णता प्रमाणपत्र भी लेना जरूरी है. नगर निगम ने शुरुआत में उद्योगों को प्रोविजनल फायर एनओसी एक साल के लिए दी जाती है. उसके बाद उन्हें स्थायी फायर एनओसी मिलती है.

निगम अवैध क्षेत्र बताकर सुविधा नहीं देता

पुराने उद्योग औद्योगिक सुरक्षा और नगर निगम के फायर सुरक्षा के तय मापदंडों का पालन कर रहे हैं. उसमें इस तरह की बाध्यताएं नहीं हैं. ऐसे में यदि पुराने उद्योग फायर सुरक्षों निगम के तय मापदंडों को पूरा करते हैं तो उन्हें 5 से 30 लाख रुपये तक का खर्च आता है. दौलताबाद वर्ष 2012 के मास्टर प्लान में शामिल किया. वर्ष 2017 तक उद्योगों का नक्शा पास करने, फैक्ट्री लाइसेंस, फायर एनओसी मिलते थे. वर्ष 2018 से अवैध क्षेत्र बताकर सब देना बंद कर दिया था. इसी तरह बसई, कादीपुर और बहरामपुर क्षेत्र है.

भवन पूर्णता प्रमाण के कारण NOC नहीं देते

नगर निगम की ओर से 4 औद्योगिक क्षेत्रों को अवैध एरिया बताकर NOC नहीं देता है. इससे इन क्षेत्रों के इमारत बनाने के लिए नक्शा पास नहीं किए जाते हैं. फैक्ट्री लाइसेंस से लेकर फायर NOC तक नहीं मिलती है. उद्यमियों का आरोप है कि नगर निगम कॉमर्शियल संपत्ति कर लेता है, लेकिन NOC नहीं देता. ऐसे में उद्यमियों को आग की घटनों को लेकर चिंता में है.