नई दिल्ली। ये को कैसा बेरहम जालिम है, जो रिश्ते-नाते, दुख-दर्द कुछ नहीं देख रहा है. बस एक-एक करके निगलता जा रहा है. अपनी आगोश में लेते जा रहा है. न मासूम देख रहा और न ही जवान बस काल के गाल में लीलता जा रहा है. ये जालिम हाल ही में दिल्ली में नेत्रहीन माता-पिता की इकलौती संतान को निगल गया. नेत्रहीन माता-पिता के आंखों का तारा था. मां-बाप का सहारा था, उसे देख-देख उनकी जिंदगी कच रही थी, लेकिन नेत्रहीन मां-बाप से कोरोना ने 9 महीने के मासूम को छीन लिया.

नेत्रहीन माता-पिता के संतान की कोरोना से मौत

दरअसल, दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में कोविड-19 के कारण मौत हो गई, जबकि उसका पिता एक अन्य अस्पताल में संक्रमण से जूझ रहा है. पूर्व भाजपा विधायक जितेंद्र सिंह ‘शंटी’ ने गुरुवा शाम को पुरानी सीमापुरी के एक शवदाहगृह में कृशु को दफनाया. दो दिनों में यह दूसरी बार है जब सिंह ने इतने छोटे बच्चे को दफनाया है.

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान 2000 से अधिक अनजान लोगों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कर चुके सिंह (59) ने बुधवार शाम को उसी जगह के पास पांच महीने की परी को दफनाया था. जहां कृशु अब हमेशा के लिए सो गया है. कृशु के एक रिश्तेदार ने बताया कि वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान था जो पूर्वी दिल्ली में दिलशाद गार्डन में रहते हैं. उन्होंने रोते हुए कहा कि दोनों माता-पिता नेत्रहीन हैं.

रिश्तेदार ने बताया कि कृशु की मां करीब 18 दिन पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुई थी. उसने बच्चे को स्तनपान कराया था तो वह भी बीमार हो गया. कुछ दिनों पहले कृशु को गुरु तेग बहादुर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां बृहस्पतिवार तड़के उसकी मौत हो गई. उसके पिता शशांक शेखर के राजीव गांधी सुपर स्पैश्यिलिटी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं. बच्चे की मां ज्योति ने रोते हुए फोन पर बताया कि उन्हें नहीं पता कि आज उन्होंने अपना प्यारा कृशु खो दिया है. कृपया उन्हें मत बताना. अब मैं उन्हें भी नहीं खोना चाहती.

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