लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद। बालोद जिले के डौंडी ब्लॉक में एक ऐसा स्कूल भी है, जहां पढ़ाने वाले शिक्षक का दोनों आंख से दिखाई नहीं देता है, बावजूद इसके वे बड़ी सरलता से बच्चों को पढ़ते हैं. और बच्चों को भी उनकी बात समझ में आती है.
हम बात कर रहे हैं, देवपांडुम गांव के प्राथमिक स्कूल की, जहां पढ़ाने वाले शिक्षक बालमुकुंद को दोनों आंख दिखाई नहीं देता. फिर भी स्कूली बच्चों को ब्रेललिपि वाली पुस्तकों की मदद से पढ़ाते हैं. बच्चे भी उनके पढ़ाने के तरीके को अच्छे तरह से समझते हैं. शिक्षक बालमुकुंद बताते हैं कि उन्होंने पहली से आठवीं तक की पढ़ाई रायपुर से करने के बाद 9वीं से बारहवीं तक की पढ़ाई जबलपुर से की है.
इसके बाद वे शिक्षक बने और तब से लेकर आज तक वह देवपांडुम गांव के प्राथमिक स्कूल में पढ़ा रहे हैं. चारों तरफ जगल से घिरे देवपाण्डुम गांव में जाने के लिए कुसुमकसा गांव से 8 किलामीटर का सफर तय करना होता है, जिसमें 5 किलोमीटर का रास्ता कच्चा है. स्कूल में 13 बच्चे पढ़ाई करते हैं, और उनको पढ़ाने के लिए दो शिक्षक है, और बच्चे शिक्षक के ब्रेललिपि की पुस्तक से पढ़ाए के तरीके से संतुष्ट हैं.
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