सत्या राजपूत, रायपुर। नया रायपुर के ब्लू वाटर खदान में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब नहाने गए दो स्कूली छात्र गहरे पानी में डूब गए। दोनों छात्र छत्तीसगढ़ पब्लिक स्कूल, टाटीबंध के कक्षा 10वीं के विद्यार्थी थे। घटना के बाद से ही एसडीआरएफ और पुलिस की टीम मौके पर मौजूद है और करीब 8 घंटे से रेस्क्यू अभियान जारी है।

यह हादसा शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे हुआ। जानकारी के मुताबिक, 7 से 8 दोस्तों का एक ग्रुप स्कूल बंद होने के कारण नया रायपुर घूमने पहुंचा था। सभी ब्लू वाटर में नहाने उतरे, इसी दौरान जयेश और मृदुल गहरे पानी में चले गए। उनके साथियों ने उन्हें डूबते देखा तो शोर मचाया और स्थानीय लोगों से मदद मांगी, जिसके बाद सूचना माना थाना पुलिस और एसडीआरएफ टीम को दी गई। जो बच्चे ब्लू वाटर में घूमने पहुंचे थे उनमे से एक बच्चा स्कूल के ही हॉस्टल का रहने वाला है।

सूचना मिलते ही पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। बताया जा रहा है कि ब्लू वॉटर की गहराई करीब 400 फीट है। फ़िलहाल गहरे पानी में डूबे दोनों छात्रों का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है, एसडीआरएफ की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी तक जुटी हुई है।

स्कूल प्रबंधन पर उठे सवाल

हादसे के बाद स्कूल प्रबंधन पर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हादसे के बाद जब स्कूल प्रबंधन से सवाल किए गए, तो उन्होंने अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की। घटना स्थल पर स्कूल वैन में पहुंचे प्रबंधन के सदस्य निशांत तिवारी बार-बार अलग-अलग नाम बताते रहे। कैमरों से बचते हुए वह घटना स्थल से चुपचाप निकल गए। सबसे बड़ा सवाल यह है कि स्कूल के समय में 35-40 किलोमीटर दूर छात्र वहां पहुंचे कैसे? अगर स्कूल बंद था, तो क्यों बंद था, जबकि आज सरकारी अवकाश नहीं था? और अगर स्कूल खुला था, तो सात बच्चे स्कूल ड्रेस में स्कूल से निकलकर ब्लू वॉटर कैसे पहुंच गए?

शिक्षा विभाग ने मांगी जांच रिपोर्ट

जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. हिमांशु भारती ने कहा कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है। मामले की जांच होगी। जिस तरह की यह घटना हुई है, आज स्कूल बंद होने का कोई निर्देश नहीं था। स्कूल खुले होने की स्थिति में बच्चे वहां कैसे गए, यह जांच का विषय है। इस मामले को लेकर जांच होगी और जांच के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।

पहले भी हो चुकी हैं कई मौतें

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब ब्लू वाटर में ऐसा हादसा हुआ हो। नकटी गांव के पूर्व पंच मुकेश पाल के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में 13 लोगों की मौतें यहां हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि यहां किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, केवल एक चेतावनी बोर्ड लगा है। ग्रामीणों ने यह भी दावा किया कि अब तक 35 से ज्यादा लोगों की मौतें इसी खदान में हो चुकी हैं, पर प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।