Boita Bandana Festival: भुवनेश्वर. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बोइत बंदान उत्सव मनाने के लिए राज्यभर से लाखों श्रद्धालु नदियों, तालाबों और तटीय तटों पर एकत्रित हुए. इस अवसर पर पूरे ओडिशा में भक्ति और सांस्कृतिक उत्सव का माहौल रहा. यह पारंपरिक उत्सव प्राचीन कलिंग की समुद्री विरासत की याद दिलाता है, जब ओडिया नाविक और व्यापारी (जिन्हें “साधब” कहा जाता था) दक्षिण-पूर्व एशिया के दूर देशों की समुद्री यात्राएं करते थे.

सुबह से ही भुवनेश्वर के पुराने शहर में स्थित ऐतिहासिक बिंदुसागर, और कटक के प्रसिद्ध घाट जैसे महानदी पर गडगड़िया घाट और काठजोड़ी नदी पर देवी घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. कई लोग पुरी समुद्र तट पर भी इस अनुष्ठान में भाग लेने पहुंचे. लोगों ने केले के तनों, कागज, थर्मोकोल और अन्य सामग्रियों से छोटी नावें बनाईं और उन्हें दीयों, फूलों, अगरबत्तियों, सिक्कों, पान के पत्तों और मेवों से सजाया. इन नावों को जल पर तैराकर समृद्धि, सुरक्षित यात्रा और अपने समुद्री पूर्वजों की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

Also Read This: सूडान में बंधक बने उड़िया युवक के माता-पिता ने लगाई गुहार, CM माझी से मांगी मदद

Boita Bandana Festival
Boita Bandana Festival

घाटों पर पारंपरिक मंत्र “आ का मा बोई – पाना गुआ थोई – पाना गुआ तोर – मासक धर्मा मोर – बोइत बंदान हो!” गूंजते रहे, जो इस भूमि की समुद्री परंपरा और व्यापारिक गौरव की याद दिलाते हैं. इस वर्ष कटक में आयोजित सात दिवसीय बाली यात्रा मेला भी बोइत बंदान के साथ शुरू हुआ, जो ओडिशा की ऐतिहासिक समुद्री परंपरा और बाली, जावा, सुमात्रा, म्यांमार तथा श्रीलंका से इसके संबंधों को रेखांकित करता है.

Boita Bandana Festival: बोइत बंदान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आधुनिक पीढ़ियों को उनके समुद्री इतिहास और पूर्वजों की परंपरा से जोड़ने वाला सांस्कृतिक सेतु है. यह उन नाविकों और समुदायों को सम्मानित करता है जिन्होंने समंदर पार व्यापार के माध्यम से ओडिशा की समृद्ध विरासत को दुनिया तक पहुँचाया. भक्ति, उल्लास और ऐतिहासिक गर्व से भरे इस पर्व ने ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान को और सशक्त किया, जहाँ आस्था, परंपरा और समुद्री इतिहास एक साथ झिलमिलाते दिखाई दिए.

Also Read This: बाली यात्रा 2025: कटक में 5 से 12 नवंबर तक बदलेगा ट्रैफिक रूट, जानें पूरी व्यवस्था