नई दिल्ली . रक्त कैंसर और बोनमैरो से जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है. अब दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलेगी. ब्लड और अन्य कैंसर के मरीजों के इलाज में यह सुविधा दी जाती है. अभी तक यह सुविधा एम्स में ही उपलब्ध है. बुधवार से यह सुविधा सफदरजंग अस्पताल में भी शुरू हो गई. दिल्ली में यह केंद्र सरकार का पहला अस्पताल है.
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बीएल शेरवाल ने इस इकाई का उद्घाटन करते हुए कहा कि अस्पताल पूरी तरह तैयार है. महीनेभर के अंदर पहला बोनमैरो प्रत्यारोपण किया जाएगा. अभी तक दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा सिर्फ एम्स में उपलब्ध है. सफदरजंग बोनमैरो इकाई शुरू करने वाला दिल्ली का दूसरा अस्पताल बना है. अस्पताल के मेडिकल ऑनकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर कौशल कालरा ने बताया कि उत्तर भारत में एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़ और एसजीपीजीआई के अलावा यह सुविधा किसी भी सरकारी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. उन्होंने बताया कि बोनमैरो प्रत्यारोपण के लिए पहले मरीज को चुनने के बाद उसकी जांच की जा रही है.
सफदरजंग केंद्र सरकार का पहला अस्पताल है. जहां यह सुविधा मरीजों को बहुत कम खर्च या लगभग मुफ्त में उपलब्ध होगी. जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए 10-15 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. बता दें कि सफदरजंग अस्पताल के ऑन्कोलॉजी विभाग में हर साल हजारों की संख्या में मरीज आते हैं. इनमें से बड़ी संख्या में मरीजों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है. अभी तक सुविधा उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को परेशान होना पड़ता था, सुविधा शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान सहित आसपास के मरीजों को लगभग मुफ्त यह सुविधा उपलब्ध होगी.
कैंसर मरीजों को लिए फायदेमंद
ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. कौशल कालरा ने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा उत्तर भारत में केवल तीन अस्पतालों में उपलब्ध है. सफदरजंग में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए पहले मरीज को चुनने के बाद उसकी जांच की जा रही हैं. जांच पूरा होने और दानकर्ता के बोन मैरो से स्टेम सेल लेने के बाद हम जल्द ही पहला प्रत्यारोपण कर सकेंगे. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जहां एक स्वस्थ दाता का रक्त या मैरो रोगी के अस्वास्थ्यकर रक्त बनाने वाली कोशिकाओं (स्टेम सेल) को स्वस्थ स्टेम कोशिकाओं से बदल देता है जो बाद में लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स का निर्माण करती हैं.
डॉक्टरों की ये टीम करेगी इलाज
बोन मैरो ट्रांसप्लांट में स्वयं के शरीर (ऑटोलॉगस ट्रांसप्लांट) या डोनर (एलोजेनिक ट्रांसप्लांट) के कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है. यह ट्रांसप्लांट योग्य रोगियों में किया जाता है. इसमें ब्लड कैंसर, लिम्फोमा, मल्टीपल मायलोमा रोगियों और कुछ जन्मजात रोगों में एक आवश्यक उपचार प्रक्रिया शामिल है. सफदरजंग अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई है. मेडिकल ऑन्कोलॉजी की टीम से ट्रांसप्लांट में विभाग प्रमुख डॉ. कौशल कालरा और डॉ. मुकेश नगर रहेंगे. वहीं हेमेटोलॉजी विभाग से डॉ. जे एम खुंगेर और डॉ. सुमिता चौधरी की टीम बोन मैरो ट्रांसप्लांट करेगी.