संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी. एक ओर सरकार कर्ज माफी की बात करती है वहीं दूसरी ओर छतीसगढ़ के किसान सुखा की मार झेल आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है. ताजा मामला लोरमी से निकलकर सामने आया है. जहां एक प्राइवेट बंधक बैंक से खेती का कार्य करने 40 हजार रुपये का कर्ज़ लिया था, लेकिन दुर्भाग्य से इस वर्ष भी मुंगेली इलाके में कम वर्षा के चलते आकाल की स्थिति निर्मित हो गई है. बरसात नहीं होने से बैगा के खेत में फसल नहीं हुई और जो थोड़ी बहुत थी वो भी पानी की कमी चलते बर्बाद हो गई. जिसकी वजह से किसान ने कीटनाशक दवाई खाकर खुदखुशी कर ली है.
राष्ट्रपति दत्तक पुत्र टिंगीपुर निवासी श्याम सिंह बैगा परेशान रहता था और इस बात को लेकर चिंतित रहता था की बैंक से लिए हुए कर्ज की अदायदी वो कैसे करेगा. यही बात उसके मन चलती रही और अपनी पत्नी से इस बात का जिक्र भी उसने किया. जब श्याम सिंह बैगा बहुत ही ज्यादा हताश और परेशान हो गया, तो देर रात उसने कीटनाशक दवा पीकर अपनी जान दे दी. सुबह परिजनों ने इस बात की जानकारी पुलिस को दी पुलिस ने मर्ग कायम कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
बड़ा सवाल ये है की आखिर कब तक किसान कर्ज में दबकर अपनी जान देते रहेंगे. गांवों में आज भी रोजगार का कोई साधन नहीं है ग्रामीण आज भी सिर्फ कृषि पर ही आधारित है. जहां अगर सरकार की योजना से काम कराया भो गया तो आज तक उनके मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया. ये सरकार तंत्र की एक बड़ी लापरवाही है. सरकार राष्ट्रपति दत्तकपुत्र बैगा आदिवासियों के लिए इतनी योजनायें चला रही है लेकिन क्यों इन योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति को नहीं मिल पाता. कहीं न कहीं सिस्टम में बैठे लोग ही इसके जिम्मेदार है. जो सरकार की योजना का लाभ गरीब किसानों को नहीं मिल पा रहा है.