सत्यपाल सिंह,रायपुर। मंत्री खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें हकीकत क्यों समझ में नहीं आ रहा है ? कांग्रेस ने कभी नकाब पहना ही नहीं था, सरकार ने जो कहा और वो किया, हकीकत सबके सामने है. अलबत्ता भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने ज़रूर आँखों में पट्टी ज़रूर बांध रखी है और किसानों को भ्रमित कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि धान की खरीदी की पहली तारीख से अब तक 85 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष कांग्रेस सरकार ने लगभग 68 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी कर ली है. इनमें से अब तक 32.35 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव हो चुका है. धान खरीदी के बदले किसानों को 11 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का भुगतान किया जा चुका है.

खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत ने जानकारी देते हुए बताया कि तय समय में सरकार धान खरीदी का अपना लक्ष्य पूरा कर लेगी, तारीख बढ़ाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी. साथ ही कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी पंचायत चुनावों में अपनी शिकस्त की झुंझलाहट ग़लतबयानी के ज़रिए न निकालें. केंद्र सरकार ने ही धान खरीदी के मामले में राज्य सरकार के सामने कई रोड़े अटकाए कि हम किसानों को उनका हक न दें, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा. किसानों को उनका अधिकार देकर रहेंगे.

मंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि यदि विक्रम उसेंडी को किसानों की इतनी ही परवाह थी तो केंद्र सरकार से पत्र लिखकर ये आग्रह क्यों नहीं किया कि वे राज्य सरकार द्वारा तय समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की अनुमति दें. केंद्रीय पूल में चावल खरीदी का कोटा बढ़ाएं, हम सभी उनसे अनुरोध करते रह गये लेकिन उनके कानों में जूं तक न रेंगी. मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि भाजपा लगातार किसानों की उपेक्षा करती आई है. आज भी वे किसान हित के मुद्दे पर सिर्फ राजनीति की रोटी सेंक रहे हैं और गलतबयानी करके किसानों को परेशान कर रहे हैं.

गौरतलब है कि धान खरीदी मामले को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि मंत्री अमरजीत भगत का ये कहना कि खरीदी की तारीख नहीं बढ़ाई जाएगी. कांग्रेस सरकार की किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाती. उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव निपटते कांग्रेस का नकाब उतर गया है. कांग्रेस ने अब अपना असल चेहरा दिखा दिया है. कांग्रेस का यही चरित्र है. बीजेपी लगातार कांग्रेस की मंशा को लेकर सवाल उठाती रही है. उसेंडी ने कहा था कि किसानों को धान ख़रीदी के नाम पर ख़ून के आँसू रुलाने वाली सरकार ने धान ख़रीदी की मियाद नहीं बढ़ाने का एलान करके अपने निकम्मेपन का ही परिचय दिया है. पहले धान ख़रीदी एक माह विलंब से शुरू की गई और किसानों का पूरा धान 25सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर पर ख़रीदने से बचने के लिए नित-नए नियमों के तुगलकी फ़रमानों का छल-प्रपंच रचा गया.