बक्सर। जिले की ब्रह्मपुर विधानसभा सीट पर जनसुराज पार्टी को एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। भाजपा से नाराज होकर जनसुराज पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे सत्य प्रकाश तिवारी ने अपना नामांकन वापस ले लिया है, जिससे जनसुराज पार्टी अब इस सीट पर मुकाबले से पूरी तरह बाहर हो गई है।

नामांकन वापसी की चल रही थी कवायद

कुछ दिन पहले ही जनसुराज पार्टी ने सत्य प्रकाश तिवारी को ब्रह्मपुर से उम्मीदवार घोषित किया था। इसके बाद उन्होंने नामांकन दाखिल किया था। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक पिछले कई दिनों से भाजपा के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र प्रधान और ऋतुराज सिन्हा लगातार तिवारी के संपर्क में थे। वे उन्हें पार्टी में वापसी के लिए मनाने की भरसक कोशिश कर रहे थे। आखिरकार भाजपा की यह कोशिश रंग लाई और सोमवार दोपहर 1 बजे सत्य प्रकाश तिवारी ने अपना नामांकन वापस ले लिया। इसकी पुष्टि उप निर्वाचन पदाधिकारी एवं डुमरांव के भूमि सुधार उपसमाहर्ता, तथा ब्रह्मपुर विधानसभा के रिटर्निंग ऑफिसर टेस लाल सिंह ने की है।

NDA प्रत्याशी के लिए राहत

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर थी कि सत्य प्रकाश तिवारी की साफ-सुथरी छवि और क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता से NDA प्रत्याशी हुलास पांडेय की स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती थी। माना जा रहा था कि यदि तिवारी मैदान में बने रहते, तो ब्रह्मपुर में NDA के वोटों में सेंध लग सकती थी, जिससे हुलास पांडेय की जीत खतरे में पड़ जाती। भाजपा नेतृत्व ने इस संभावना को समय रहते समझा और डैमेज कंट्रोल की रणनीति अपनाते हुए तिवारी को मनाने में सफलता हासिल की। उनकी नामांकन वापसी को भाजपा की रणनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

सहमति पर सस्पेंस

हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि भाजपा और सत्य प्रकाश तिवारी के बीच किस तरह की सहमति बनी है या क्या वादे किए गए हैं। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है और मीडिया के बार-बार संपर्क करने के बावजूद उन्होंने चुप्पी साध रखी है।

स्थानीय राजनीति में हलचल

लोगों का मानना है कि सत्य प्रकाश तिवारी की नामांकन वापसी से जहां जनसुराज पार्टी को सीधा नुकसान हुआ है, वहीं भाजपा ने एक संभावित संकट को टालकर खुद को मजबूत किया है। ब्रह्मपुर सीट जनसुराज पार्टी के लिए एक संभावित जीत वाली सीट मानी जा रही थी। इस घटनाक्रम से यह भी संदेश गया है कि बागी नेताओं को वापस लाने में भाजपा न केवल तत्पर है, बल्कि रणनीतिक रूप से सक्षम भी। ब्रह्मपुर की यह सियासी हलचल न केवल स्थानीय समीकरणों को बदलेगी, बल्कि भविष्य की चुनावी रणनीतियों पर भी इसका असर दिख सकता है।