रियो डि जेनेरो। ब्राजील ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. इसके साथ ही वह ब्रिक्स में भारत के बाद दूसरा देश बन गया है, जिसने चीन की इस महत्वाकांक्षी बहु-अरब डॉलर की परियोजना का समर्थन नहीं किया है.

राष्ट्रपति के विशेष सलाहकार सेल्सो एमोरिम ने बताया कि राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के नेतृत्व में ब्राजील बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) में शामिल नहीं होगा, इसके बजाय चीनी निवेशकों के साथ सहयोग करने के वैकल्पिक तरीकों की तलाश करेगा.

एमोरिम ने कहा कि ब्राजील आधिकारिक तौर पर समूह में शामिल नहीं हो रहा है. लेकिन सरकार का लक्ष्य बेल्ट एंड रोड ढांचे के तत्वों का लाभ उठाकर ब्राजील की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और पहल से जुड़े निवेश कोषों के बीच “तालमेल” बनाना है.

उन्होंने ब्राजील के अखबार ओ ग्लोबो से कहा कि ब्राजील चीन के साथ संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाना चाहता है, बिना किसी परिग्रहण अनुबंध पर हस्ताक्षर किए.

ब्राजील ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है, जबकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 20 नवंबर को ब्रासीलिया की राजकीय यात्रा के दौरान इस पहल में ब्राजील की भागीदारी को उजागर करने की बात कही गई थी.

ब्राजील के अर्थव्यवस्था और विदेश मामलों के मंत्रालयों के अधिकारियों ने हाल ही में इस विचार का विरोध किया है, उनका मानना ​​है कि चीन की प्रमुख अवसंरचना परियोजना में शामिल होने से तत्काल लाभ नहीं मिलेगा और संभावित ट्रम्प प्रशासन के साथ संबंध जटिल हो सकते हैं.

पिछले सप्ताह, अमोरिम और राष्ट्रपति लूला के चीफ ऑफ स्टाफ, रुई कोस्टा विषय पर चर्चा करने के लिए बीजिंग गए थे, लेकिन सूत्रों के अनुसार, वे चीन के प्रस्तावों से असंतुष्ट होकर लौटे.

बता दें कि भारत BRI के बारे में आपत्ति व्यक्त करने वाला पहला देश था, जिसने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस प्रमुख परियोजना का दृढ़ता से विरोध किया, जिसका उद्देश्य अवसंरचना निवेश के माध्यम से चीन के वैश्विक प्रभाव का विस्तार करना है.

भारत ने BRI परियोजना के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरने वाले $60 बिलियन की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विरोध करता रहा है. भारत का तर्क है कि यह उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करती है.