रायपुर। अंतागढ़ टेपकांड मामले में पूर्व मंत्री राजेश मूणत की अग्रिम जमानत याचिका जिला न्यायालय ने खारिज कर दी है. इससे पहले न्यायालय न्यायालय से इसी मामले में पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह के दामाद और आरोपी बनाए गए डॉ पुनीत गुप्ता और मंतुराम पवार की भी अग्रिम जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी.

मूणत ने मामले में जिला न्यायालय में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी. मामले में मजिस्ट्रेट विवेक कुमार की न्यायालय में सुनवाई हुई. राजेश मूणत की ओर से पूर्व उप महाअधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने पैरवी की, उन्होंने मामले में दलील दी कि राजेश मूणत पर कोई अपराध नही बनता. 2014 का मामला है. इसमें लेट एफआईआर की गई है. एफआईआर में किसी भी तरह का कोई एविडेन्स नहीं है. भ्रस्टाचार अधिनियम 9, 13 के तहत अपराध नहीं बनता. मूणत के वकील ने कहा कि ऑडियो टेप में राजेश मूणत की कोई आवाज नहीं है. उन्हें राजनीतिक दुर्भावना के तहत फंसाया जा रहा है. वहीं शासन की ओर से पैरवी कर रहे सतीश चंद्र वर्मा ने अपनी दलील में कहा कि पूरे मामले के साजिशकर्ता राजेश मूणत ही थे. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए पूर्व मंत्री की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया. न्यायालय ने कहा कि अग्रिम जमानत दिए जाने की असमान्य स्थिति अभी नहीं दिखती. प्रकरण विचाराधीन है. विवेचना जारी है.

गौरतलब है कि किरणमयी नायक ने हाल ही में एक एफआईआर दर्ज कराया है उसमें उनका आरोप था कि भाजपा की ओर से राजेश मूणत और पुनीत गुप्ता ने 2014 के अंतागढ़ उपचुनाव में तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार को आर्थिक प्रलोभन देकर खरीद लिया था. इसके लिए उन्होंने अजीत और अमित जोगी के साथ मिलकर साजिश रची थी. इस मामले में मंतूराम पवार रुपये लेकर नाम वापस ले लिया था. यह पूरी तरह खरीद-फरोख्त और षड़यंत्र का मामला है.

किरणमयी नायक ने यह भी कहा था कि उनके पास इस मामले के ऑडियो क्लिप मौजूद है. किरणमयी ने इन आरोपों के साथ पंडरी थाने में धारा 171E, 171F, 406, 420, 120आईपीसी और धार 9, 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर कराई थी.