नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात दंगों को लेकर जकिया जाफरी की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया. वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों में मारे गए एहसान जाफरी की पत्नी जकिया ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अन्य लोगों को एसआईटी रिपोर्ट में क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने याचिका की सुनवाई करने के बाद फैसला सुनाया. याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, SIT की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और गुजरात की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दीं. इसके बाद बेच ने 9 दिसंबर 2021 को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि SIT ने मामले के महत्वपूर्ण पहलुओं पर जांच नहीं की. इससे साबित होता कि पुलिस इस केस में एक्टिव नहीं रही. सिब्बल ने यह भी कहा कि SIT नें जिस तरह जांच की उससे लगता है कि वह कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है. वहीं SIT के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मामले में गहराई से छानबीन हुई है. 275 लोगों से पूछताछ हुई. कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे साजिश की बात साबित होती हो.

क्या है मामला

गोधरा कांड के बाद 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद स्थित अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती को निशाना बनाया था. इसमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे. इनमें से 38 लोगों के शव बरामद हुए थे. जबकि जाफरी सहित 31 लोगों को लापता बताया गया.

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