मद्रास हाई कोर्ट ने सामान्य वर्ग को दिए जा रहे आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. इस नोटिस पर केंद्र सरकार से 18 फरवरी से पहले जवाब मांगा है. ये नोटिस डीएमके द्वारा मद्रास हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की सुनवाई के बाद जारी किया गया है.

चेन्नई. मद्रास हाई कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिए जा रहे 10 प्रतिशत आरक्षण पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. इस नोटिस का जवाब केंद्र सरकार को 18 फरवरी से पहले देना होगा. ये नोटिस डीएमके के आयोजन सचिव आरएस भारती की याचिका पर जारी किया गया है. मद्रास हाई कोर्ट में दायर इस याचिका में उन्होंने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के सरकार के फैसले को चुनौती दी थी. इस याचिका में डीएमके ने केंद्र द्वारा दिए जा रहे इस आरक्षण को एससी-एसटी के खिलाफ बताया था.

बता दें कि संसद में आरक्षण बिल पर वोटिंग से पहले डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने इस आरक्षण बिल को सिरे से खारिज कर दिया था. अब डीएमके द्वारा मद्रास हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि केंद्र द्वारा बनाया गया यह कानून संविधान द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ है. ये याचिका 22 पन्नों की थी. इसमें डीएमके ने 19 प्वाइंट में अपनी बात रखी. केवल डीएमके ही नहीं बल्कि दिल्ली के भी एक गैर सरकारी संगठन ने सामान्य वर्ग को दिए जा रहे आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी.

एक एनजीओ यूथ फॉर इक्विलिटी ने सु्प्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें इस आरक्षण बिल के लिए संविधान संसोधन अधिनियम पर रोक लगाने की मांग की गई थी. बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने फैसला किया है कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए. ये बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास किया जा चुका है. यहां तक की भाजपा शासित कई राज्यों में इसे लागू करने की भी घोषणा कर दी गई है. हालांकि कई राज्य और पार्टियां अभी भी इसका विरोध कर रही हैं.