
जयपुर. पटियाला हाउस कोर्ट ने 18 सितंबर 2024 को बीकानेर हाउस की कुर्की पर जारी आदेश पर रोक लगाई. यह फैसला राज्य सरकार के लिए बड़ी राहत है. अदालत में अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिव मंगल शर्मा ने राजस्थान सरकार का पक्ष रखा.

दिल्ली में स्थित बीकानेर हाउस का स्वामित्व राजस्थान के नोखा नगर पालिका के पास है. हालांकि, यह विवाद 2020 में नोखा नगर पालिका और इनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच 50 लाख रुपये के भुगतान को लेकर हुआ. अदालत ने नगर पालिका को राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था. लेकिन भुगतान नहीं होने पर 2024 में बीकानेर हाउस की कुर्की का आदेश जारी किया गया.
सरकार ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि बीकानेर हाउस एक सरकारी संपत्ति है, जिसका उपयोग प्रशासनिक और सार्वजनिक कार्यों के लिए होता है. यह संपत्ति सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 60 के तहत कुर्की से मुक्त है. इसमें मुख्यमंत्री कार्यालय, राजस्थान हाईकोर्ट रजिस्ट्री और अन्य महत्वपूर्ण कार्यालय स्थित हैं.
नगर पालिका का रुख
नोखा नगर पालिका ने अदालत में कहा कि बीकानेर हाउस उसकी संपत्ति नहीं है और कंपनी को 7 दिन के भीतर भुगतान कर दिया जाएगा.
कोर्ट का फैसला
अदालत ने कुर्की आदेश को एकतरफा और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया. 7 जनवरी 2025 को अगली सुनवाई तय की गई है. बता दें कि बीकानेर हाउस का निर्माण महाराजा गंगा सिंह के शासनकाल में हुआ था. ब्रिटिश और राजपूताना शैली में निर्मित इस भवन को आजादी के बाद शाही परिवारों के लिए एक केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया गया. 2015 में इसे जनता के लिए खोला गया और अब यह राजस्थान सरकार का सांस्कृतिक केंद्र है.
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