कानपुर में दो कारोबारियों पर आयकर छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपये की कर चोरी का पता चला है. कानपुर, कन्नौज, मुंबई और गुजरात में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर, फैक्ट्री, ऑफिस, कोल्ड स्टोर और पेट्रोल पंप पर आयकर विभाग की छापेमारी चल रही थी.

आईटी छापे के साथ, विशिष्ट खुफिया सूचनाओं पर, जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई), अहमदाबाद के अधिकारियों ने गुरुवार को कानपुर में फैक्ट्री परिसर और एक पान मसाला निर्माता और एक ट्रांसपोर्टर (जिसकी पहचान अभी उजागर नहीं की गई है) से संबंधित परिसरों की तलाशी शुरू की. लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम को सूत्रों से पता चला है कि ये छापा शिखर पान मसाला से जुड़े मालिकों पर पड़ा है.

इनकम टैक्स की टीम सबसे पहले करेंसी काउंटिंग मशीन के साथ शहर में पीयूष जैन के आनंदपुरी स्थित आवास पर पहुंची. इसी तरह की छापेमारी मुंबई और गुजरात में जैन के प्रतिष्ठानों पर चल रही है. अधिकारियों के मुताबिक करीब 150 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है. यह टैक्स चोरी मुख्य रूप से शेल कंपनियों के जरिए की गई है. आनंदपुरी निवासी पीयूष जैन मूल रूप से कन्नौज के छिपट्टी के रहने वाले हैं. कन्नौज में उनका एक घर, परफ्यूम फैक्ट्री, कोल्ड स्टोर, पेट्रोल पंप भी है.

पीयूष जैन का मुंबई में एक घर, हेड ऑफिस और शोरूम भी है. उनकी कंपनियां भी मुंबई में ही पंजीकृत हैं. छापेमारी गुरुवार सुबह कानपुर, मुंबई और गुजरात में एक साथ शुरू हुई और देर रात खत्म हुई. छापेमारी के दौरान 150 करोड़ रुपये की नकदी बरामद होने की खबर है. छापेमारी का नेतृत्व मुंबई की एक टीम ने किया और इसकी निगरानी में कानपुर के आयकर अधिकारियों की टीम ने भी छापेमारी की. अधिकारियों के मुताबिक, पीयूष जैन की करीब 40 कंपनियां हैं, जिनमें से दो मध्य पूर्व में हैं. अधिकारियों ने कहा कि वह मुख्य रूप से कन्नौज में इत्र व्यवसाय में हैं, जबकि समूह का मुंबई में एक शोरूम है, जहां से पूरे देश और विदेशों में इत्र बेचा जाता है.

छापेमारी के दौरान यह भी पता चला कि कंपनी ने शेल कंपनियों के नाम पर कर्ज लिया था. कंपनी के विदेशी लेनदेन भी बहुत बड़े हैं. इस बीच, एक आईटी अधिकारी ने कहा कि आय और कर से संबंधित दस्तावेजों की जांच की जा रही है. एसबीआई अधिकारियों की मदद से नोटों की गिनती की प्रक्रिया अभी भी जारी है. यह शुक्रवार तक समाप्त हो सकती है.

इसी तरह, फैक्ट्री परिसरों और पान मसाला निर्माता और एक ट्रांसपोर्टर के परिसरों पर भी छापे मारे गए, जो नकली चालान की आड़ में माल के परिवहन में शामिल था,वो भी बिना ई-वे बिल बनाए. ट्रांसपोर्टर ई-वे बिल के निर्माण से बचने के लिए, एक ट्रक लोड के लिए 50,000 रुपये से कम, गैर-मौजूद फर्मों के नाम पर कई चालान उत्पन्न करता था. अधिकारियों ने फैक्ट्री परिसर के बाहर ऐसे चार ट्रकों को सफलतापूर्वक रोका और जब्त किया. ट्रांसपोर्टर के गोदाम से पूर्व में बिना जीएसटी भुगतान किए परिवहन के लिए इस्तेमाल किए गए 200 से अधिक फर्जी चालानों को बरामद किया गया है.