नई दिल्ली. कर्नाटक में सत्ता के लिए भाजपा और जेडीएस-कांग्रेस के बीच रस्साकशी शुरू हो गई है। तीनों पार्टियां बहुमत के लिए जरूरी विधायक होने का दावा कर रही हैं। बीजेपी कह रही है कि उनके संपर्क में जेडीएस-कांग्रेस के विधायक हैं, तो वहीं कांग्रेस अपने विधायकों को रिजॉर्ट में ले जा सकती है. बेंगलुरु में बुधवार को बैठकों का दौर भी जारी है, कांग्रेस-जेडीएस-बीजेपी अपने विधायकों के साथ बैठक करने में लगे हुए हैं.

विधायकों को दे रहे 100-100 करोड़ रुपए का ऑफर

इसी बीच अब विधायकों के खरीद-परोख्त की भी चर्चा जोरो पर है.जनता दल सेक्युलर के चीफ एचडी कुमारस्वामी ने यहां तक कह दिया कि वे लोग (भाजपा नेता) पार्टी के विधायकों को 100-100 करोड़ रुपए का ऑफर दे रहे हैं. स्वमी ने कहा कि यदि वे हमारे 10 विधायक तोड़ेंगे, तो हम 20 विधायक छीन लेंगे.

मंत्री पद का भी दिया जा रहा आॅफर

इससे पहले कांग्रेस के एक विधायक अमरेगौड़ा लिंगानागौड़ा पाटिल बाय्यापुर ने कहा कि बीजेपी नेताओं ने उन्हें मंत्री पद का ऑफर दिया था. कांग्रेस ने भी भाजपा के 6 विधायकों के संपर्क में होने का दावा किया है.

नहीं मिला ​किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत

बता दें कि कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से 222 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78, जेडीएस गठबंधन को 38 और अन्य को दो सीटें मिली हैं. कोई भी दल सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 112 सीटों के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाया है.

पिछले चुनाव में विपक्षी विधायको का दिलाया था इस्तीफा

साल 2008 में भाजपा को 110 सीटों पर जीत हासिल की थी. ऐमे में भाजपा के पास बहुमत कि लिए 113 में 3 सीटे कम थी. जिसके बाद भाजपा ने दल-बदल कानून से बचने के लिए कांग्रेस के 3 और जेडीएस के 4 विधायकों को इस्तीफा देने के लिए राजी कर लिया था. उन्हें भाजपा के टिकट से दोबारा चुनाव लड़ाया गया. इनमें से 5 विधायक जीत गए. इस तरह भाजपा 110 से बढ़कर 115 सीटों पर पहुंच गई.

कांग्रेस-जेडीएस के पास क्या है संभावना

सरकार बनाने का मौका मिलने पर दोनों दल रिजॉर्ट पॉलिटिक्स शुरू कर सकते हैं. यानी अपने-अपने विधायकों को किसी रिजॉर्ट में भेज सकते हैं, जिससे फ्लोर टेस्ट से पहले विधायकों को तोड़ने की कोशिशें ना हों सके. इसके अलावा यह भी संभावना जताई जा रही है कि यदि भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिलता है तो कांग्रेस-जेडीएस राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकती है।

भाजपा के पास यह है संभावना

संभवना जताई जा रही है कि भाजपा को सरकार बनाने का पहले मौका नहीं मिला और विधानसभा में बहुमत परीक्षण होता है, तो जेडीएस-कांग्रेस के कुछ विधायकों को भाजपा सदन में वोटिंग से गैर-हाजिर रहने के लिए मना सकती है. इसके अलावा यदि भाजपा को पहले मौका मिलता है तो वह जरूरी विधायकों का समर्थन जुटाने के लिए राज्यपाल से कुछ दिन का वक्त मांग सकती है.