रायपुर-  छत्तीसगढ़ के सोनाखान में साल 2016 में मेसर्स वेदांता लिमिटेड को दी गई गोल्ड माइनिंग लीज नियमों को ताक पर रखकर दे दिया गया? दरअसल 14 जुलाई 2017 को हुई छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक के एजेंडे में यह बात साफ हो रही है कि नियमों की अनदेखी कर वेदांता लिमिटेड को माइनिंग लीज दे दी गई. पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह की अध्यक्षता में सीएम हाउस में हुई बैठक में माइनिंग लीज दिए जाने का बिंदु एक प्रमुख एजेंडे के रूप में शामिल किया गया था. एजेंडा क्रमांक 10/4 में बलौदाबाजार वनमंडल में बाघमरा गोल्ड स्टाॅक के पूर्वेक्षण की स्वीकृति दिए जाने का प्रस्ताव शामिल किया गया था. इस प्रस्ताव में लिखा था कि 17 मार्च 2017 को राज्य शासन के आदेश के बाद 473.3 हेक्टेयर मेसर्स वेदांता लिमिटेड को लेटर आफ इंटेट(एलओआई) जारी किया गया है. आवेदक मेसर्स वेदांता लिमिटेड की ओऱ से 414.415 हेक्टेयर वनभूमि और 59.885 हेक्टेयर गैर वन भूमि में पूर्वेक्षण की अनुमति मांगी गई है. प्रस्तावित पूर्वेक्षण क्षेत्र का कुछ भाग बारनवापारा अभ्यारण्य के विस्तार हेतु प्रस्तावित क्षेत्र में आ रहा है.

दस्तावेज बताते हैं कि मेसर्स वेदांता लिमिटेड के प्रस्तावित लीज क्षेत्र को लेकर बलौदाबाजार वनमंडलाधिकारी(डीएफओ) ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर इस बात का उल्लेख किया था कि प्रस्तावित क्षेत्र को खनन के लिए लीज पर दिए जाने से वनक्षेत्र में अवैध कटाई, अतिक्रमण की संभावना बढ़ेगी. साथ ही मानव-वन्यप्राणी द्वंद की घटनाओं में वृद्धि संभावित है. टीप में यह भी लिखा गया था कि 11 सितंबर 2007 को हुई राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में बारनवापारा अभ्यारण्य विस्तार का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे 30 मई 2012 को हुई बैठक में अनुमति दे दी गई थी. अभ्यारण्य का यह वहीं प्रस्तावित विस्तार क्षेत्र हैं, जहां मेसर्स वेदांता लिमिटेड को दी गई माइनिंग लीज क्षेत्र का कुछ हिस्सा आ रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि अभ्यारण्य के प्रस्तावित क्षेत्र के समस्त गांवों में ग्राम सभा आयोजित कर प्रस्ताव रखा जाए. मेसर्स वेदांता लिमिटेड के प्रस्तावित खनन क्षेत्र के दायरे में आने वाले बारनवापारा अभ्यारण्य विस्तार के लिए 25 गावों में से केवल 7 गांव की ग्राम सभा ने अनुमति दी थी, जबकि 15 गांव ने इस पर असहमति जताई थी. राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में यह तय किया गया कि पूर्वेक्षण क्षेत्र बलौदाबाजार वन मंडल में है. यह क्षेत्र बारनवापारा अभ्यारण्य  और इसके इको सेंसेटिव जोन की सीमा के बाहर है, लिहाजा इसे राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजने की जरूरत नहीं है. इस प्रस्ताव पर वन संरक्षण अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी.

वेदांता को दी गई माइनिंग लीज आखिर क्यों है चर्चा की वजह?

सोनाखान में वेदांता को दी गई माइनिंग लीज पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिलहाल ब्रेक लगा दिया है. शनिवार को मंत्रालय में हुई खनिज विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान भूपेश बघेल ने यह कहते हुए माइनिंग पर ब्रेक लगाई कि 1857 के शहीद वीरनारायण सिंह की स्मृतियां हमारी अनमोल धरोहर है. उनकी जन्म और कर्मभूमि पर खनन की अनुमति देना चिंताजनक है. इस बात की समीक्षा की जाएगी कि शहीद वीरनारायण सिंह की माटी की खुदाई का निर्णय किन हालातों में लिया गया.

सिर्फ ढाई टन सोने के लिए सोनाखान की नीलामी?

छत्तीसगढ़ के पर्यावरण के क्षेत्र के लिए काम करने वाले लोगों ने यह सवाल उठाया था कि देश में जब 700 मीट्रिक टन सोना आयात किया जाता है, तो छत्तीसगढ़ के घने जंगल में मौजूद सिर्फ 2700 किलो सोना खनन के लिए नीलामी क्यों की गई. 2700 किलो सोना देश के वार्षिक आयात का सिर्फ 0.39 फीसदी होता है. वर्तमान दरों से देश में 231000 करोड़ का सोना प्रतिवर्ष आयात होता है. जबकि सोनाखान में कई वर्षों के खनन में सिर्फ 820 करोड़ रूपए का ही सोना निकलेगा. पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाले नितिन सिंघवी ने सोनाखान की माइनिंग लीज निरस्त करने के लिए 17 जुलाई 2018 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के सचिव को पत्र भी लिखा था. नई सरकार के गठन के बाद 29 दिसंबर 2018 को भी मुख्य सचिव को पत्र लिखकर माइनिंग लीज निरस्त करने की मांग उठाई गई थी. माइनिंग लीज पर ब्रेक लगाते हुए नए सिरे से समीक्षा दिए जाने के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फैसले का पर्यावरण प्रेमियों ने स्वागत किया है.