रायपुर- वाणिज्यिक कर विभाग को अपने इशारों से चलाने वाले विशेष आयुक्त एस एल अग्रवाल आखिरकार बिलासपुर भेज दिए गए हैं. राज्य शासन ने पिछले साल मार्च में उनका तबादला किया था, लेकिन उन्होंने हाईकोर्ट से स्टे लिया था. वाणिज्यिक कर विभाग के अपर सचिव मरियानुस तिग्गा ने आज तबादला आदेश जारी कर दिया.

बताते हैं कि एस एल अग्रवाल ने 18 मार्च 2019 को राज्य शासन के फैसले को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि जिस पद पर उनका तबादला बिलासपुर किया गया, वह पद वहां सृजित ही नहीं है. इस आधार पर कोर्ट ने उनके तबादले पर स्टे देते हुए राज्य शासन से जवाब प्रस्तुत करने को कहा था. राज्य शासन ने 13 सितंबर 2019 को बिलासपुर संभाग में नया पद स्वीकृत प्रदान कर दिया था. हाईकोर्ट में शासन के जवाब पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 15 जनवरी 2020 को अंतिम आदेश जारी किया था, जिसके तहत राज्य शासन ने नए सिरे से तबादला आदेश जारी कर अग्रवाल को बिलासपुर भेज दिया है.

एस एल अग्रवाल बीते 16 सालों से वाणिज्यिक कर विभाग में विभिन्न पदों पर लगातार पदस्थ रहे. सामान्यतः नियम यह है कि प्रमोशन की स्थिति में संबंधित अधिकारी को अन्य शहरों में स्थानांतरित किया जाता है, लेकिन पिछली सरकार में सत्ता के करीबी होने के चलते डेढ़ दशक तक अग्रवाल का विभाग में एकाधिकार रहा. आरोप है कि विभाग को अपने इशारे पर चलाते हुए उन्होंने कई मातहत अधिकारी-कर्मचारियों का सीआर खराब किया है.

सड़क निर्माण से जुड़ी एक कंपनी को दिलाई थी करोड़ों रूपए की छूट

एस एल अग्रवाल पर यह आरोप है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से जुड़े संचेती ग्रुप की कंपनी को सड़क निर्माण के एक मामले में आरोपित वाणिज्यिक कर 23 करोड़ रूपए की छूट दिलाई, जो कि यह विधि विरूद्ध था. कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने इस मामले को लगातार जोर-शोर से उठाया था, पर तत्कालीन रमन सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. एस एल अग्रवाल के खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद ईओडब्ल्यू ने साल 2013 में उनके कई ठिकानों पर छापा मारा था.

आदेश की काॅपी-