रायबरेली के जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाली एक बार फिर सुर्खियों में है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में देखा जा सकता है कि जिस स्ट्रेचर पर मरीजों को लाना-जाना चाहिए, उस पर ईंटें ढोई जा रही है. ये नजारा न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सरकारी तंत्र पर भी सवाल खड़े करता है. इसी अस्पताल के चाइल्ड वार्ड में प्लास्टर गिरने की घटना और वृद्ध जन वार्ड की बदहाल स्थिति पहले ही चिंता का विषय बनी हुई है. मरीजों और उनके परिजनों को आए दिन अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ता है.

योगी सरकार की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. एम्बुलेंस सेवा, 108 और 102 नंबरों पर कॉल कर मरीजों को त्वरित सहायता देने की व्यवस्था है. हेल्पलाइन नंबर 1800-180-1104 और 1800-180-5145 के जरिए भी शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं. लेकिन इसके बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के लगातार प्रयासों और निर्देशों के बावजूद अस्पताल की हालत जस की तस बनी हुई है.
निरीक्षण के बाद भी नहीं बदली तस्वीर
हाल ही में प्रभारी प्रमुख सचिव परिवहन वेंकटेश्वर लू ने अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे. लेकिन वीडियो और मरीजों की शिकायतें दिखा रही हैं कि सुधार अभी भी कागजों तक ही सीमित है. इस मामले पर जब जिला अस्पताल के प्रभारी सीएमएस प्रदीप अग्रवाल से बात की गई, तो उन्होंने कहा हमें ईंट ढुलाई की कोई जानकारी नहीं है. लोगों का कहना है कि यदि यही हाल रहा, तो सरकारी योजनाएं और निरीक्षण केवल औपचारिकता बनकर रह जाएंगे. जरूरत है सख्त कार्रवाई और जवाबदेही तय करने की.
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