पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में सरकारी पैसे को पानी में बहा दिया गया. यूं कहें कि ठेकेदार करोड़ों रुपये डकार गया. 5 साल पूरे हो गए, लेकिन पुल नसीब नहीं हुई. 5 पंचायत, 10 गांव के ग्रामीण और छात्र हलाकान हैं. छात्रों के सिर पर साइकिल औऱ कंधे पर भविष्य है. जिम्मेदारों ने इस तरफ से मुंह फेर लिया है. 5 साल बाद भी ब्रिज कागजों पर है. रोजाना छात्र और ग्रामीण जान जोखिम में लेकर सफर करने को बेबस हैं. थक हारकर ग्रामीणों ने सद्बुद्धि यज्ञ कर फिर से चुनाव बहिस्कार की चेतावनी दी है.

दरअसल, तेलनदी के सेनमूड़ा घाट पर आज सेनमूड़ा, खोकसरा, झिरिपानी, सुपेबेडा, दहिगांव पंचायत के अधीन आने वाले 10 से भी ज्यादा गांव के लगभग 100 ग्रामीण नदी तट पर एकत्र हुए. पुलिया निर्माण बंद होने से आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रसाशन को जगाने सद्बुद्धि यज्ञ किया. लगभग 1 घण्टे के इस आयोजन में पीएमजीएसवाय प्रशासन के खिलाफ भी जम कर नारेबाजी हुई.

ग्रामीण देशबंधु नायक, कृष्णा कुमार समेत ग्रामीणों ने कहा कि बरसात के पहले निर्माण कार्य बन्द किया गया था. अब काम दोबारा चालू होने की संभावना नहीं दिख रहा है, क्योंकि ठेका कम्पनी अपना सारा मशीनरी सामान और क्रेशर को उठा चुका है. साइड पर कुछ मटेरियल भर रह गया है. काम शुरू करने के लिए विभाग को कई बार बोला गया नवम्बर माह आ गया है. बन्द कार्य को दोबारा चालू करवाने आज सद्बुद्धि यज्ञ किया गया है.

ग्रामीणों ने कहा कि आज हम सभी ने यह भी संकल्प लिया है कि ब्रिज कार्य 2023 तक नहीं बनाया गया तो फिर से विस व लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे. मामले में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क विभाग के सेतु शाखा के इंजीनियर वीएस सोनी ने कहा कि विभाग ठेका कम्पनी के सम्पर्क में है. सप्ताह भर के भीतर काम शुरू हो जाएगा. तय मियाद में काम पूरा नहीं हुआ तो ब्लेक लिस्टेड की कार्रवाई की जाएगी.

5 साल में पूरा नहीं हुआ, हो चुका है चुनाव बहिष्कार
सेनमूड़ा घाट पर हाइलेबल ब्रिज निर्माण की स्वीकृति 2017 में मिल गई थी. काम कराने का जिम्मा PMGSY को दिया गया. निर्माण के लिए गणपति कंस्ट्रक्शन कम्पनी रायपुर से अनुबंध किया गया था. 2017 में 325 मीटर लंबे पूल के लिए 7 करोड़ 36लाख की मंजूरी मिली थी.

पहले डिजाइन के मुताबिक ओपन फाउंडेशन में ही 14 पिल्लहर को खड़ा करना था. नींव खुदाई में हार्ड स्टेटा मिला तो डिजाइन बदल कर पाइल्स फाउंडेशन करने का निर्णय लिया गया. डिजाइन बदलने की प्रक्रिया के समय दो साल काम बंद पड़ा था. 2019 में इन्ही 5 पंचायत के लोगों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया था.

2021 में काम दोबारा शुरू हुआ. लागत बढ़ कर 10 करोड़ 36 लाख हो गया था. काम दिसम्बर 2022 तक पूरा भी करना था. बरसात के पहले तक 14 में से केवल 7 पिलहर खड़े किए जा सके थे. 50 मीटर का ही स्लैब ढलाई हो सका था. बरसात के बाद अक्टूबर में काम शुरू करना था, लेकिन नवम्बर आ गया. कम्पनी के कोई स्टाफ तक साइड में नहीं आए.

बारिश में कट जाते हैं 16 गांव
बारिश में 16 गांव का रास्ता कट जाता है. इस बार नदी में निर्माणाधीन पुल के गड्ढे और स्ट्रक्चर के कारण नाव भी नहीं चल रही है. मुख्यालय आने के लिए 12 से 15 किमी की दूरी पुल के अभाव में दोगुनी हो जाती है.

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