रायपुर। पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने प्रदेश में हाथियों के लगातार हो रही मौतों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, कि वनों से अच्छादित सुरम्य छत्तीसगढ़ अब हाथियों का कब्रगाह बनता जा रहा है। छत्तीसगढ़ में हाथियों का लगातार मौत शर्मनाक है। पूरा वन अमला सो रहा है व सिर्फ आर्थिक दोहन में ही लगा हुआ है।
अग्रवाल ने प्रदेश में 48 घण्टे के अंदर शावक सहित तीन वयस्क हाथियों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरगुजा संभाग में हाथियों के मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। 48 घण्टे के भीतर ही लगातार दो हाथियों की संदिग्ध मौत के बाद बलरामपुर वनमंडल के राजपुर वनपरिक्षेत्र के जंगल में तीसरे हाथी का शव बरामद हुआ है। सभी हाथियों की मौत संदिग्ध अवस्था में हुई है। वन विभाग का इतना बड़ा अमला होने के बाद भी सब सोए हुए है, वहाँ मिला हाथी का शव चार पांच दिन पुराना है जिससे दुर्गंध आ रही है, शव सड़ गया है वह भी ग्रामीण के माध्यम से विभाग को को पता चला। चार-चार हाथियों के मौत के बाद भी विभाग की नींद नहीं टूटी हैं। खुद वन विभाग के अधिकारी कह रहे है मौत जहर से या कीट नाशक के सेवन से हो सकती है, स्वाभाविक मौत नही है। यदि ऐसा है तो यह किसने ऐसा किया, इसका पता क्यों नहीं लगाया जा रहा है। इन आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हाथियों का आवागमन लगातार होता रहा है, पर कभी एैसी स्थिति नही हुई। विशालकाय प्राणी, हाथियो की हत्या इस तरह हो रही है, तो जंगल में अन्य छोटे जानवरों की क्या स्थिति होगी यह सोचनीय विषय है।
उन्होंने कहा कि सरगुजा रेंज में हाथियों के उत्पात को रोकने सरकार करोड़ो रूपये खर्च कर रही है उसके बाद भी न ग्रामीण सुरक्षित है और न ही हाथी सुरक्षित है। क्योंकि हाथियों को लेकर सरकार की योजनाएं पूरी तरह फेल साबित हुई है। रेंज में हाथियों की लगातार मौत व उनकी मौतों की जानकारी ग्रामीणो ने ही वन अधिकारियों को दी है। चार-चार दिन वन विभाग के अधिकारियों को मौत का पता ही नहीं लगा इससे विभाग के मैदानी अमला के जंगल भ्रमण को लेकर किए जा रहे दावो की भी पोल खोल दी है।
अग्रवाल ने कहा कि 18 हाथियों के झुंड में अब सिर्फ 10 हाथी रह गए है। 5 हाथी अभी भी गायब है। वन विभाग का इतना बड़ा अमला व निगरानी दल के बावजूद लगातार हाथियों के मौत से अनेक सवाल खड़े हो रहे है। वन अमला की वर्तमान में जो स्थिति है उससे तो यही लगता है, कि प्रदेश के सुरम्य घने वनो व वनों में रह रहे जानवरों को विभाग की ही नजर लग गई है और जंगल में आगे चलकर सिर्फ ठूंठ ही रह जायेंगे। उन्होंने हाथियों की लगातार मौत की उच्च स्तरीय जांच करते हुए दोषियों पर कठोर कार्यवाही की मांग की है।