नई दिल्ली। गुलाम भारत में अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए तीन कानूनों को समाप्त करते हुए लोकसभा में आज गृह मंत्री अमित शाह ने उनके स्थान पर तीन नए विधेयक पेश किए. इनमें भारतीय दंड संहिता, 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, 2023, आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम, 1898 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 शामिल हैं.

अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों के बनाए कानूनों के मुताबिक चलती थी. तीन कानूनों को बदल दिया जाएगा और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा. इनमें से भारतीय न्याय संहिता, 2023 अपराधों से संबंधित प्रावधानों को समेकित और संशोधित करने के लिए और उससे जुड़े या उसके आकस्मिक मामलों के लिए है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 दंड प्रक्रिया से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करने और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों के लिए है. वहीं भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 निष्पक्ष सुनवाई के लिए साक्ष्य के सामान्य नियमों और सिद्धांतों को समेकित करने और प्रदान करने के लिए है.

2027 तक अदालतें कंप्यूटरीकृत

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि किसी भी अपराध में, जिसमें 7 साल से अधिक की सजा हो, उसके लिए फोरेंसिक टीमें घटनास्थल पर होनी चाहिए, जिससे अपराध की जांच करने में सहूलियत हो. लेकिन विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि देश इसके लिए तैयार नहीं है, लेकिन हम 2027 तक देश की सभी अदालतों को कम्प्यूटरीकृत करना चाहते हैं. हमने जीरो-एफआईआर को एक विशेष स्थान दिया है और आजादी के 75 साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है. दुष्कर्म के आरोप में वीडियो रिकार्डेड बयान अनिवार्य कर दिया गया है. पहली बार सामुदायिक सेवा शुरू की जा रही है, यह बहुत प्रासंगिक नहीं है, लेकिन अब इसे अधिनियमित किया जाएगा.”

पुलिस अधिकारी नहीं कर पाएंगे देरी

गृह मंत्री शाह ने आगे कहा कि पुलिस अधिकारी भी अब जांच में देरी नहीं कर पाएंगे, हमने सुनिश्चित किया है कि 90 दिनों में आरोप पत्र दायर किया जाएगा और केवल अदालत उन्हें 90 दिन और बढ़ा सकती है, लेकिन 180 दिनों के भीतर पुलिस ने इन नए कानूनों के तहत जांच करने के लिए बाध्य होंगे. यहां तक ​​कि न्यायाधीश भी किसी भी दोषी के लिए अपनी सुनवाई और आदेश में देरी नहीं कर सकते हैं.

नाबालिग से दुष्कर्म पर मौत की सजा

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों के तहत, आतंकवाद, मॉब-लिंचिंग और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुद्दों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सख्ती से निपटा जाएगा और आईपीसी पर नया विधेयक राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर देगा. सामूहिक बलात्कार के लिए 20 साल की सजा की गारंटी है और 18 साल से कम उम्र की किसी भी महिला के साथ बलात्कार के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से मौत की सजा सुनिश्चित की जाएगी.