दिल्ली. इस समय हर कहीं एशियन गेम्स में भारत के प्रदर्शन की बात हो रही है. देश ने अब तक का अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन एशियन गेम्स में दिया. वहीं खिलाड़ियों को अब भी सरकार औऱ खेल संघों के निकम्मेपन का दंश झेलना पड़ रहा है. एक खिलाड़ी जिसने देश को एशियन गेम्स में ब्रांज मेडल दिलाया हो वो घर वापस लौटकर चाय की दुकान पर चाय बेचने को मजबूर हो इससे शर्मनाक बात औऱ क्या हो सकती है.
दिल्ली के मशहूर मजनू का टीला में चाय का ठेला लगाने वाले हरीश ने जकार्ता एशियाई गेम्स में सेपक टकरा नामके खेल में देश को ब्रांज मेडल दिलाया. हरीश उस टीम का हिस्सा थे जिसने देश को ब्रांज मेडल दिलाया. जब वे देश वापस लौटे तो उनका गाजे-बाजे के साथ स्वागत हुआ. एक-दो दिन भले ही हरीश को चैंपियन जैसी फील आई हो लेकिन उसके बाद उनको घर चलाने के लिए अपने पुराने धंधे पिता की चाय की दुकान पर उनका हाथ बटाना पड़ा. अब हरीश पिता की दुकान पर लोगों को चाय सर्व करते हैं.
हरीश ने बताया कि सरकारों ने उनको खोखले आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया. इसलिए घर चलाने के लिए खाली तो नहीं बैठा जा सकता है. इसलिए वो चाय की दुकान पर लोगों को चाय पिलाने लगे. हरीश की कहानी देश में खिलाड़ियों की दुर्दशा औऱ सरकारों की उदासीनता की कहानी साफ कह रही है.