आकाश श्रीवास्तव, नीमच। राखी का पर्व केवल एक धागे का त्योहार नहीं। यही धागा भाई बहन के स्नेह को मजबूत करता है। भाई बहन के प्रेम के इस त्योहार पर नीमच में निंबाहेड़ा के एजाज अहमद पठान और नीमच की अनीता खाबिया का भाई-बहन का अटूट रिश्ते में देखने को मिलती है। ऐसी मिसाल कि जो धर्म के बंधनों को तोड़कर इंसानियत के रिश्ते को मजबूत करते हैं। राखी के त्योहार के दिन यहां मुस्लिम बहन हिंदू भाई को राखी बांधती और मुस्लिम भाई हिंदू बहन से राखी बंधवाता है। बचपन में जुड़ा यह रिश्ता 54 साल बाद भी कायम है। अब तो इनकी दूसरी पीढ़ी भी भाई-बहन के रिश्ते को निभा रही है। तभी तो एजाज रविवार को अनीता से राखी बंधवाने निंबाहेड़ा से दौड़े चले आए।
रिश्ता 54 साल पहले 1968 में तब कायम हुआ था
अनीता और एजाज का भाई-बहन का रिश्ता 54 साल पहले 1968 में तब कायम हुआ था, जब वे महज 8 साल की थीं। अनीता उन दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि भाई जनेंद्र वीराणी व एजाज नीमच कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे। सगी बहन नहीं होने से एजाज ने रक्षा बंधन पर्व पर अनीता को ही बहन मान लिया और पहली बार राखी बंधवाई थी। इसके बाद रिश्ते के यह डोर मजबूत होती चली गई। इन साढ़े चार दशकों में एक भी साल ऐसा नहीं गया जब बहन अनीता ने एजाज की कलाई पर रक्षासूत्र न बांधा हो। रेशम की डोर से बंधे दोनों के परिवारों को साथ देखकर लगता ही नहीं है कि एक हिंदू व दूसरा मुस्लिम परिवार है।
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दूसरी पीढ़ी भी पवित्र रिश्ते को निभा रही
इतना ही नहीं इनकी दूसरी पीढ़ी भी भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को निभा रही हैं। एजाज की पुत्रवधू शाजिया 11 साल से अनीता के बेटे राहुल को राखी बांध रही हैं। घर में किसी की शादी हो या कोई कार्यक्रम, एजाज भाई का फर्ज निभाने के मामले में पीछे नहीं हटते। वे सारे हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। ईद हो या दीवाली दोनों परिवार मिलकर मनाते हैं।
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सदभाव से रहे हिंदू-मुस्लिम
एजाज कहते हैं क्या हिंदू और क्या मुसलमान। ऊपरवाले ने इंसान को पैदा करते समय ऐसा कोई भेद नहीं रखा। ये तो कुछ स्वार्थी लोग ही हैं जो इस तरह का भेद पैदा कर भ्रांति फैलते हैं और लोगों को बांटते हैं। मैं तो सभी से यही गुजारिश करता हूं कि ऐसी बातों पर विश्वास ही न करें। हम (हिंदू-मुस्लिम) भाई-भाई हैं। सभी के दिलों में हिंदुस्तान धड़कता है। सांप्रदायिक झगड़े देश की तरक्की में बाधक हैं। सभी एक-दूसरे का सम्मान करें यही इंसानियत है। अनीता और उनका परिवार मेरे लिए बहुत अजीज है। हम दोनों भाई-बहन के बीच हिंदू-मुस्लिम जैसा कुछ नहीं है।
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