सुप्रिया पांडेय, रायपुर। मस्जिद में भजन, मंदिरों में अज़ान हो, तुम मनाओ दिवाली, मेरे घर रमजान हो. एक ओर जहां कई जगहों पर छोटी-छोटी बातों को लेकर दो संप्रदायों के बीच जहर घोलने की कोशिश की जाती है, वहीं इससे इतर राजधानी से महज 25 किमी दूर धरसींवा विकासखंड के ग्राम कुंरा में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखी जा सकती है.
यहां एक ही स्थान के पानी से मुस्लिम वजु, तो हिन्दू आचमन करते हैं. मंदिर और मस्जिद के बीच की दीवार भी एक ही है. दीवार के एक तरफ मंदिर है तो दूसरी तरफ मस्जिद है, जब गांव के मंदिर में आरती होती है तो उसके लिए मस्जिद की अजान थम जाती है. ये धार्मिक स्थल साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बने हुए हैं.
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यहां एक ही परिसर में मस्जिद और कंकालीन मंदिर बना हुआ है. दोनों धर्मावलंबियों के बीच प्रेम ऐसा है कि मंदिर का शिखर और मस्जिद की मीनार भी एक ही ऊंचाई पर स्थित है. बड़े आयोजनों में केसरी और हरा झंडा एक साथ शान से लहराते हैं. कहीं कोई मनमुटाव नहीं, कहीं कोई द्वेश नहीं. भाईचारे में ही सब मिलकर निर्णय ले लेते हैं.
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मस्जिद के मौलवी हमीद उल्लाह खान ने बताया कि 1969 में मंदिर और मस्जिद का निर्माण एक ही जगह पर किया गया है, पूर्वजों की परंपराओं का निर्वहन वे आज भी कर रहे है. मुस्लिम समाज के अध्यक्ष हिंदू रहे हैं और मंदिर के अध्यक्ष मुसलमान रहे हैं आज भी यह परंपरा कायम है यहां रामलीला मंडली के अध्यक्ष का नाम अमीनुल्लाह खान है.
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पुजारी पुनीत राम साहू ने कहा कि मंदिर और मस्जिद एक साथ बनाए गए है, यदि मंदिर में कोई पुजारी मौजूद ना हो तो मुसलमान भी यहां आकर पूजा कर लेते है, मस्जिद में भी सभी जाते है. मोहम्मद इरफान ने कहा कि 1969 में मंदिर और मस्जिद का निर्माण एक साथ कराया गया, त्योहारों में भी सभी चीजें बहुत अच्छी तरह से निभाई जाती है एक ओर जहां देश में कई जगहों पर दंगे की बातें सुनाई देती है लेकिन यहां आपस में भाईचारा बहुत है. मस्जिद में कोई कार्यक्रम हो तो वहां हिन्दू जाते है, मंदिर में कोई कार्यक्रम हो तो वहां मुस्लिम भी जाते है.
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नजीब असरफ ने कहा कि हिंदू और मुस्लिम सभी यहां मिलकर रहते है, कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा हिंदू मुस्लिम समुदाय के लोगों को लड़ाने की कोशिश हो रही है, पर हमारा फर्ज है कि इस तहजीब को बनाए रखें. मोहम्मद फजल ने कहा कि पूर्वजों ने रामलीला का प्रारंभ किया, वे मालगुजार परिवार से संबंध थे. आमिर उल्लाह खान ने प्रेरित किया कि हम रामलीला मंडली में कुछ भूमिका अदा करें और उनकी प्रेरणा से मुझे सीता का किरदार निभाने का मौका मिला, और आज भी ये परंपरा है कि रामलीला मंडली में राम और रावण का किरदार हिंदू और मुस्लिम मिलकर निभाते आ रहे है.