सोहराब आलम/ मोतिहारी (पूर्वी चम्पारण)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। जहां एक तरफ एनडीए और महागठबंधन अपनी-अपनी दावेदारी को लेकर मैदान में उतरे हुए हैं, वहीं अब बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) ने भी अपनी राह तय कर ली है। बहुजन समाज पार्टी के बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने इस बार विधानसभा चुनाव में अकेले अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। मोतिहारी पहुंचे बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और इस बात का दावा किया कि इस बार एनडीए और महागठबंधन दोनों गठबंधनों को जनता ने पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों गठबंधनों ने हमेशा जनता को धोखा देने का काम किया है और झूठ बोलकर वोट लिया है, लेकिन अब बिहार की जनता जाग चुकी है। जनता ने फैसला कर लिया है कि अब बहुजन समाजवादी पार्टी को वोट करेगी और समर्थन देगी।
सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए अनिल कुमार ने जोर देकर कहा कि बहुजन समाजवादी पार्टी बिहार के सभी विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। हमारी पार्टी को जनता का अपार समर्थन मिल रहा है और इस बार हमें किसी गठबंधन की आवश्यकता नहीं है। बहन मायावती ने भी इस फैसले को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सितंबर महीने में पार्टी की तरफ से बिहार के हर जिले में एक बड़ी यात्रा शुरू की जाएगी, जो पूरे राज्य में घूमकर जनता से सीधा संवाद करेगी। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य जनता को यह समझाना है कि एनडीए और महागठबंधन दोनों ने उनके साथ विश्वासघात किया है। अब समय आ गया है जब बिहार की जनता को बहुजन समाजवादी पार्टी का समर्थन करना चाहिए।
अकेली ताकत से मैदान में उतरने का निर्णय
बीएसपी ने इस बार चुनाव में अपनी अकेली ताकत से मैदान में उतरने का निर्णय लिया है, जिसका मुख्य कारण यह है कि दोनों प्रमुख गठबंधन अपनी खोखली नीतियों और झूठे वायदों से जनता को भ्रमित कर चुके हैं। पार्टी का मानना है कि अब बिहार की जनता को एक मजबूत और ईमानदार विकल्प की आवश्यकता है, और वह विकल्प बहुजन समाजवादी पार्टी है।
इस ऐलान के बाद, बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीएसपी का यह कदम बिहार के चुनावी परिदृश्य को किस दिशा में मोड़ता है। क्या बहुजन समाजवादी पार्टी अकेले दम पर चुनाव जीतने में सफल होगी, या फिर गठबंधनों के बीच की कड़ी प्रतिस्पर्धा में पार्टी पीछे रह जाएगी, इसका निर्णय आगामी चुनावी परिणामों पर निर्भर करेगा।
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