दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है. इस ‘भारत बंद’ का समर्थन कई राजनीतिक दल कर रहे हैं. BSP चीफ मायावती ने भी ‘भारत बंद’ का समर्थन करते हुए पहली प्रतिक्रिया दी है.
मायावती ने अपने सोशल मीडिया के जरिए लिखा, ‘BSP का भारत बंद को समर्थन, क्योंकि भाजपा व कांग्रेस आदि पार्टियों के आरक्षण विरोधी षडयंत्र एवं इसे निष्प्रभावी बनाकर अन्ततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण 1 अगस्त 2024 को SC/ST के उपवर्गीकरण व इनमें क्रीमीलेयर सम्बंधी मा. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध इनमें रोष व आक्रोश.’
BSP सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लेटरल नियुक्ति पर रोक भले ही लगा दी है, लेकिन ऐसी सभी आरक्षण विरोधी प्रक्रियाओं को हर स्तर पर रोक लगाने की जरूरत है. मायावती ने सोशल मीडिया X पर लिखते हुए कहा है कि देश में रोजगार का घोर अभाव है.
‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (NACDAOR) ने मांगों की एक सूची जारी की है जिसमें अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए न्याय और समानता की मांग शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कलह
संगठन ने हाल में उच्चतम न्यायालय की सात न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले के प्रति विपरीत दृष्टिकोण अपनाया है, जो उनके अनुसार, ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की पीठ द्वारा लिए गए फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण की रूपरेखा स्थापित की थी.
NACDAOR ने सरकार से अनुरोध किया है कि इस फैसले को खारिज किया जाए क्योंकि यह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों के लिए खतरा है. संगठन SC, ST और OBC के लिए आरक्षण पर संसद द्वारा एक नये कानून को पारित करने की भी मांग कर रहा है जिसे संविधान की नौवीं सूची में समावेश के साथ संरक्षित किया जाए.
बता दें कि कोर्ट का फैसला आने के बाद NDA के सहयोगी दलों ने भी इसका विरोध किया था, जिसके बाद सरकार के ओर से आश्वासन दिया गया था. हालांकि इसके बाद भी चिराग पासवान की पार्टी ने बुधवार को भारत बंद का समर्थन करने का फैसला किया है.
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