पटना। बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद मतदाता सूची से लगभग 65 लाख नामों के हटाए जाने पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। BSP के केंद्रीय प्रभारी अनिल कुमार ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसे लोकतंत्र के साथ मजाक बताया।
BSP के वरिष्ठ नेता अनिल कुमार ने रविवार को पटना में एक प्रेस वार्ता में कहा कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रह गया, बल्कि वह भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में जिन मतदाता सूचियों पर लोकसभा चुनाव कराए गए, उन्हीं में से कुछ ही सप्ताहों में 65 लाख नामों का हट जाना गंभीर सवाल खड़े करता है।
मतदान से वंचित करने की एक साजिश
अनिल कुमार ने मांग की कि आयोग हर विलोपित मतदाता के नाम का स्पष्ट और सार्वजनिक कारण बताए। उन्होंने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में गड़बड़ी गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग को मतदान से वंचित करने की एक साजिश है।
दस्तावेज भी मान्य
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि चैनपुर विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में 135 लोगों के नाम सिर्फ इस वजह से हटाए गए क्योंकि उनके पास निवास प्रमाणपत्र नहीं था, जबकि आधार, राशन कार्ड, बिजली बिल आदि वैकल्पिक दस्तावेज भी मान्य हैं। BSP ने चेतावनी दी कि अगर आयोग ने स्थिति स्पष्ट नहीं की तो पार्टी बहन मायावती के नेतृत्व में राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति बनाएगी।
अनिल कुमार सवाल उठाया
अनिल कुमार ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस त्रुटिपूर्ण सूची पर होने वाला अगला विधानसभा चुनाव लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या नहीं होगा? उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया संविधान की भावना और समानता के अधिकार के विरुद्ध है।
अंग्रेजी में प्रकाशित करने की मांग
बिहार में 1 अगस्त को SIR के बाद जारी मतदाता सूची में विलोपित मतदाताओं की सूची केवल अंग्रेजी में प्रकाशित किए जाने के संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा।
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