रायपुर/कोरबा/जगदलपुर। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना काल में पहला और अपना तीसरा बजट पेश किया है. इसमें समय के तकाजे को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग वर्गों को अलग-अलग तरह से संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है. प्रदेश में भी इस बजट को लेकर अलग-अलग वर्गों की अलग-अलग प्रतिक्रिया आई है.
केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने इसे आम आदमी के विकास का बजट बताया है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने विकास की राह पर ले जाने वाला बजट पेश किया है. जिसमे सभी वर्गों के विकास की बात कही गई है. इस बजट के बाद देश दुगुनी रफ्तार से विकास की राह पर चल पड़ा है. बजट में 75 साल से अधिक उम्र वालों को अब आयकर रिटर्न भरने की आवश्यकता नहीं होगी. वहीं किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. शहरी, ग्रामीण स्वच्छता के लिए सरकार ने बजट में प्रावधान किए हैं. स्वच्छ हवा के लिए भी सरकार ने अपना पिटारा खोला है. इसके अलावा सरकार ने रेलवे के लिए राष्ट्रीय रेल योजना 2030 तैयार करने का प्रावधान किया है. वहीं जल्द ही वॉलेंट्री स्क्रैप पॉलिसी को लॉन्च किया जाएगा. बीमा क्षेत्र में 74 फीसदी तक एफडीआई को मंजूरी दी गई है.
खाद्यमंत्री अमरजीत भगत ने केंद्रीय बजट को बेहद निराशाजनक बताते हुए कहा कि इसमें न मध्यम वर्ग के लिये कुछ है, न किसानों के लिये, न ही छात्रों-युवाओं के लिये उन्होंने कोई प्रावधान किया है. इस बजट को ध्यान से देखने से पता चलता है कि जो भी प्रावधान किये गये हैं, वो निजी कंपनियों को फायदा पहुँचाने वाले हैं, जिसमें प्रमुख क्षेत्रों का विनिवेश है. सरकारी अधोसंरचना का उपयोग अब निजी कंपनियाँ करेंगी. भगत ने कहा कि इस बजट में उन राज्यों को आगे रखा गया है जहाँ चुनाव होने वाले हैं. इस लिहाज से यह चुनावी घोषणा पत्र कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बजट को लेकर लोगों की उम्मीदें बहुत थीं, लेकिन मुनाफे वाले क्षेत्रों के विदेशी निवेश और निजी व्यवासियों के हाथ में दिये जाने से लोग आशंकित हैं.
पूर्व कृषि मंत्री ननकीराम कंवर ने कहा है कि केंद्र सरकार की जो भी योजनाएं हैं, वह किसानों के हित में है, और हमेशा से ही हित में सोचते आई थी. वर्तमान में पेश बजट अनुकूल है. विपक्ष में बैठे लोग इसे राजनीति कलर दे रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसान बजट बिल बना कर किसानों की सुरक्षा और हित में काम किये हैं.
माकपा के कोरबा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि बजट में जिस प्रकार विनिवेशीकरण की लकीर को लंबा खींचकर सरकारी उद्योगों के पास पड़ी जमीनों को बेचने की घोषणा की गई है, उससे कोरबा जैसे जिलों में एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित, लेकिन अप्रयुक्त इन जमीनों पर काबिज मजदूर-किसानों और आदिवासियों का बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा. उन्होंने कहा है कि बजट में जीवन बीमा, बंदरगाह, बिजली, सड़क, रेलवे, स्वास्थ्य आदि सभी प्रमुख क्षेत्रों के रणनीतिक विनिवेश की घोषणा की गई है, जो अपना घर बेचकर सरकारी खर्च चलाने के समान है. सरकार द्वारा इसे आत्मनिर्भरता बताना हास्यास्पद है, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था का और पतन होगा.
समाजसेवी और पूर्व पार्षद शिव अग्रवाल की माने तो कोरबा जिला औद्योगिक नगरी है, और पूरा जिला संयंत्रों से घिरा हुआ है. यहां की जनता प्रदूषण से त्रस्त है, वहीं रेल सुविधा के नाम से कोरबा को अछूता समझा जाता है. बजट में कोई भी फैसला जनता के हित में नहीं है.
छत्तीसगढ़ बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के महासचिव शिरीष नलगुंडवार कहा कि आज केंद्र सरकार का बजट पेश किया गया. यह बजट निराशाजनक है. आम आदमी के लिए किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी गई है. बजट में बीमा क्षेत्र मे विनिवेशकरण का और बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव है. इसके तहत आईडीबीआई बैंक एवं दो राष्ट्रीय कृत बैंक एवं एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजी करण का उल्लेख है. हम इस निजीकरण का पुरजोर विरोध करते हैं. इसके विरोध में एआईबीइए के आह्वान पर देश भर में प्रदर्शन किए जाएंगे. आवश्यकता हुई तो बैंक कर्मचारी हड़ताल पर जा सकते हैं.
जगदलपुर का व्यापारी मनीष मूलचंदानी ने कहा केंद्र सरकार ने जो बजट लाया है, वह काफी सराहनीय है खासतौर पर हम बस्तर संभाग की बात करें तो जगदलपुर के अलावा कोंडागांव, बीजापुर के लिए भी एक बड़ी बात होगी. पोषण आहार को इन्होंने शामिल किया है. राज्य सरकार इस ओर ध्यान दे रही थी, जिला प्रशासन ध्यान दे रहा था. उसी के आधार पर केंद्र सरकार का ध्यान हमारी ओर आया. इसके अलावा व्यापारियों के लिए भी इस बार टैक्स में बदलाव नहीं किया गया, वहीं वरिष्ठ जनों के लिए पूरी तरह से टैक्स माफ कर दिया गया. यह भी एक सराहनीय पहल है.
जगदलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स अध्यक्ष किशोर पारख ने कहा कि बजट की विशेष बात 94 हजार करोड़ से बढ़ाकर सवा दो लाख करोड़ करना है. इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं पर बजट में ज्यादा प्रावधान है. बहुत सारे सामानों की ड्यूटी भी घटाई गई है, वह भी स्वागत योग्य है. 75 साल से ऊपर वालों को इनकम टैक्स से फ्री किया है. इनकम टैक्स के बाकी स्लैब में ऐसी उम्मीद थी कि थोड़ी सी छूट और बढ़ेगी लेकिन नहीं बढ़ी. पेट्रोल-डीजल पर सेस लगाया गया है, लेकिन मूल्य नहीं बढ़ेंगे. कुल मिलाकर साहसिक बजट है. कोरोना के बाद इस बजट से काफी राहत मिलेगी ऐसी उम्मीद है.
जगदलपुर के व्यापारी अनूप जैन ने बजट को संतुलित बताते हुए कहा कि जितनी अपेक्षाएं थी वह पूरी हुई हैं. खास करके रेलवे के क्षेत्र में बस्तर वाले पिछले 50 वर्षों से रेल लाइन के लिए तरसते हैं. छोटी-मोटी सुविधाएं थी, वह भी कोरोना के बाद बंद कर दी गई है. अभी तक चालू नहीं की गई है. बजट में सरकारी खर्चों पर नियंत्रण की बात कही गई है. सबसे ज्यादा पैसा व्यर्थ में सरकारी दिखावे में खर्च होता है. वह बचना चाहिए और जनकल्याणकारी कार्यों में लगना चाहिए. यह पैसा चला तो जाता है पर उसका क्रियान्वयन होना और उसका लाभ उस अंतिम आदमी तक पहुंचना चाहिए.
जगदलपुर के व्यापारी अनिल नुक्कड़ बजट इस बार का बहुत अच्छा है. आसपास चुनाव नहीं है, इसलिए चुनावी बजट तो नहीं कहूंगा, लेकिन चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह बनाया गया है. लेकिन दु:ख ये भी है कि बस्तर हमेशा की तरह इस बार भी पिछड़ गया है. आदिवासी के बारे में संस्कृति के बारे में, किसी के बारे में घोषणा नहीं हुई है. बस्तर को लेकर केंद्र सरकार हमेशा से ही उदासीन रहती है. व्यापारिक दृष्टिकोण से कोई टैक्स स्लैब में परिवर्तन नहीं हुआ, ना ही जीएसटी के बारे में स्पष्टीकरण अभी तक आया है. बजट देखने से ही मालूम पड़ेगा. व्यापारियों को लगता नहीं कुछ राहत मिलेगा. शासन हमेशा ही व्यापारियों को गिद्द की दृष्टि से देखता रहता है, जिससे उनका शोषण कर सके.