रायपुर. संसद में शुक्रवार को प्रभारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने नरेंद्र मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का अंतरित बजट पेश किया. कहने के लिए भले ही अंतरिम बजट हो लेकिन इसे आने वाले दस वर्षों को ध्यान में रखते हुए पेश किया गया है. बजट में कमोबेश सभी वर्गों को राहत देने का प्रयास किया गया है. बजट को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया आने शुरू हो गई है.

सबका साथ, सबका विकास को चरितार्थ किया

बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि जो बात हम कहते थे सबका साथ सबका विकास, और मोदी जी कहते थे कि यह गांव गरीब किसान की सरकार है. इस बात को इस बजट ने चरितार्थ कर दिया है. स्वागत योग्य फैसला है जो गरीब किसान है उन्हें संबल मिलेगा. आने वाले समय में जो कृषि का सकल उत्पादन 55 प्रतिशत हुआ करता था, जो 14 प्रतिशत पर आ गया. देश फिर कृषि समृद्ध देश बनेगा. हम चुनाव को देखकर बजट नहीं बनाए हैं, लोगों के जीवन स्तर को ठीक करने के लिए बजट बना है. कांग्रेस का रटा रटाया बयान रहता है, उनका भी बजट अभी छत्तीसगढ़ में आने वाला है, उसे भी देखना होगा. ये जो बजट लाते है वही अच्छा रहता है.

केंद्रीय बजट को कांग्रेस ने बताया चुनावी बजट

कांग्रेस नेता द्वारिका साहू ने कहा कि केंद्रीय बजट में किसानों को लेकर जो घोषणाएं की गई वो बहुत अच्छी बात हैं, लेकिन किसान चाहता है जो समर्थन मूल्य का रेट है वो बारह मासी खरीदी होना चाहिए. समर्थन मूल्य पर रेत तो तय कर देते हैं, लेकिन खरीदी किसी भी प्रदेश के नहीं होती. दिल्ली में आंदोलन हो रहा है किसानों का कहना है कि जो मेहनत का फल नहीं मिलता. दलहन-तिलहन सभी का अच्छा रेट मिले, ये तो चुनावी बजट है. प्रधानमंत्री ने कहा है डेढ़ गुना लाभ मिलेगा. लेकिन वो कब मिलेगा. जब वो स्वामीनाथन कमेटी को लागू करेगा तभी डेढ़ गुना लाभ मिलेगा..चुनाव तीन महीना है. किसानों से लोकलुभावन वादे किए गए. बीजेपी को इससे कोई फायदा नहीं होगा. बीजेपी के चाल चरित्र को जनता ने देख लिया है.

बजट से सरकार को चुनाव में नही होगा फायदा

केंद्र सरकार के बजट को लेकर किसान नेता संकेत ठाकुर ने हड़बड़ी वाला बजट बताया. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि चुनाव जीतने के मकसद से सरकार ने हड़बड़ी में बजट पेश किया गया है. किसानों की मूलभूत समस्या क्या है उसे समझना पड़ेगा. 6 हजार एक किसान के लिए जो 2 हेक्टयर का मालिक उनके इतनी बड़ी राशि नहीं है कि कुछ गुजारा हो जाएगा. जो लघु और सीमांत किसान है उनको उनकी फसल का सही कीमत मिलना चाहिए, लेकिन इसके लिए बजट में कुछ नही है. किसानों की मेहनत का आकंलन सरकार नहीं कर पा रही है. 6 हजार प्रतिवर्ष देना नाकाफी है. अगर किसानों को मदद पहुचना चाहते है तो उनका कर्ज माफ और उनके फसल का सही दाम दें.