अमृतांशी जोशी, भोपाल। मध्यप्रदेश में अफसरशाही गजब तरह से हावी है। इसकी एक बानगी देखने को मिली है। सात पुराने आदेश को लेकर कलेक्टर की कुंभकर्ण की नींद अब टूटी है। इतने दिनों तक प्रशासन सोया रहा है। सात साल बाद जिले के कलेक्टर जागे हैं। सरकारी आदेशों का पिछले सात साल में कलेक्टर पालन नहीं कर पाये। मामला सरकारी विभागों में कार्यरत स्थाई कर्मचारियों के नियमितीकरण से जुड़ा है।

जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 अक्टूबर 2016 को एक आदेश जारी जारी किया था। साल 2016 में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर नियमित करने के लिए आदेश जारी किया गया था। सात साल बाद 7 अप्रैल को प्रदेश के सिर्फ रतलाम (कलेक्टर) जिला प्रशासन ने आदेश पर सुध ली है। शासन के इस उक्त आदेश पर किसी भी अफसर ने पहल नहीं की। अब रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती होगी। एमपी में 48 हजार से ज्यादा अनियमित स्थाई कर्मचारी है।

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अब सरकार ने रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती करने के आदेश जारी किए है। नए आदेश और पुराने आदेश को लेकर कर्मचारियों का गुस्सा फूटा है। अफसरों के आदेश पालन ना करने पर ऐसे कर्मचारियों में नाराजगी है। कर्मचारी नेता अशोक पांडेय ने कहा कि अफसरों की बड़ी लापरवाही का खामियाजा अब निलचे स्तर के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। सात साल तक आदेश पर अमल नहीं होने से सरकार ने नया फरमान जारी किया है। इसमें रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती करने के आदेश जारी किए गए है। इस मनमानी के खिलाफ अब कर्मचारी न्यायालय में याचिका दर्ज करेंगे।

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