बुरकापाल। 24 अप्रैल को बुरकापाल में हुए नक्सली हमले में नक्सलियों के साथ तीन गांव के लोगों की संलिप्तता पाई गई है. ये खुलासा एक अंग्रेजी डेली ने किया है. जानकारी के अनुसार सीआरपीएफ को अपने आंतरिक जांच में ये बात पता चली है.
जांच अधिकारी के हवाले से आई ख़बर
जांच करने वाले एक अधिकारी ने कहा कि इस जांच में ये सामने आया कि बुरकापाल, चिंतागुफा और कसलपारा के गांववालों की इस हमले में सीधी नहीं बल्कि परोक्ष भागीदारी थी. गांववालों ने हमलावरो के खाने और रहने की व्यवस्था की. हांलाकि ऐसा उन्होंने नक्सलियों के डर से करना पड़ा. सेना के साथ मुठभेड़ खत्म होने के बाद कासलपारा के कुछ गांववालों ने घायल नक्सलियों को चिकित्सा सहायता भी पहुंचाई.
सीआरपीएप के एक अधिकारी के मुताबिक जवानों को नक्सलियों के मुकाबले ज्यादा करीब से गोली मारी गई. अधिकारी की माने तो नक्सलियों ने सीआरपीएफ के हमले से बचने के लिए कई बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया.
गांव वालों का इंकार
हालांकि गांवलालों ने इन सारे आरोपों से इंकार किया है.बुरकापाल के सरपंच विजय दुला ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि हमले के समय गांव में कोई भी मौजूद नहीं था. लोग बीजू पोंडम का त्योहार मनाने पास के जंगल में गए थे. उनके रहते गांव में कोई गोलीबारी नहीं हुई. जब वे वापस लौटे तो गोलियों की आवाज सुनाई दी. उनका कहना है कि इसके बाद उन्होंने खुद को घरों में कैद कर लिया.
इस मामले में पुलिस ने चिंतागुफा के पूर्व सरपंच को हमले में शामिल होने के आरोप में हिरासत में ले लिया था.