अजयारविंद नामदेव, शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में परिवहन व्यवस्था की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। रीवा रोड पर की गई चेकिंग में ऐसी खुलासे सामने आए जिन्होंने आरटीओ विभाग की कार्यप्रणाली पर सीधे सवाल खड़े कर दिए हैं। जिन नियमों का पालन कराना आरटीओ की प्राथमिक जिम्मेदारी है, वही कार्रवाई अब यातायात पुलिस कर रही है। यह स्थिति सिस्टम की गंभीर खामियों को दिखाती है। 

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चेकिंग के दौरान दादू एंड सन की बस क्रमांक MP 17 P 1248 को रोका गया। जांच में पाया गया कि बस की फिटनेस ही नहीं थी, यानी यह वाहन सड़क पर चलने योग्य घोषित ही नहीं था। इससे बड़ी लापरवाही यह कि बस की इमरजेंसी एग्जिट विंडो भी जाम थी, जब इसे खोलने का प्रयास किया गया तो ड्राइवर को लोहे के औजार पाना  लगाकर खिड़की खोलनी पड़ी, जो सुरक्षा मानकों का स्पष्ट उल्लंघन है। मौके पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत 5 हजार  का चालान किया गया। 

दूसरी बड़ी गड़बड़ी कैपिटल बस (MP 18 P 0206) में पाई गई,  यह बस मात्र एक दिन के स्पेशल परमिट से व्यवहारी से प्रयागराज तक चलने की अनुमति लेकर निकली थी। लेकिन शहडोल बस स्टैंड से ही इसे स्टेज कैरिज के रूप में अवैध तरीके से संचालित किया जा रहा था। बस में गोपारू, खनौदी और जयसिंहनगर तक की सवारियां बैठाई जा रही थीं, जबकि इसके लिए कोई वैध परमिट नहीं था, इस गंभीर उल्लंघन पर 10, हजार  का चालान काटा गया। 

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सबसे बड़ा सवाल यह कि यह सब महीनों से कैसे चल रहा था,अगर यातायात पुलिस एक दिन की चेकिंग में इतने बड़े नियम उल्लंघन पकड़ सकती है, तो फिर आरटीओ विभाग की निगरानी कहां है।  क्या विभाग सिर्फ कागजों पर फिटनेस और परमिट जारी करने तक सीमित हो गया है। शहडोल में लगातार बिना फिटनेस, बिना परमिट और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन कर बसें दौड़ना आरटीओ की स्पष्ट लापरवाही दर्शाता है।

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