बिज़नेस लीडर में प्रसारित होने वाले साक्षात्कार में डॉ. देवेंद्र कुमार नायक द्वारा सलाहकार संपादक संदीप अखिल से साझा विचारों पर आधारित

Business Leader : छत्तीसगढ़ की धरती ने हमेशा ऐसे सपूतों को जन्म दिया है जिन्होंने सेवा और समर्पण से समाज में नई रोशनी फैलाई। इन्हीं में से एक नाम है — डॉ. देवेंद्र कुमार नायक, जो न केवल एक कुशल सर्जन हैं बल्कि समाजसेवा के ऐसे योद्धा हैं जिन्होंने मानवता की सेवा को अपने जीवन का ध्येय बना लिया है।
न्यूज़ 24 MPCG और लल्लूराम डॉट कॉम के सलाहकार संपादक संदीप अखिल से बातचीत में Shri Balaji Group of Hospitals & Colleges के चेयरमैन डॉ. नायक ने अपने जीवन, कार्य और मिशन से जुड़े अनेक प्रेरक अनुभव साझा किए।

सेवा का संस्कार और चिकित्सकीय समर्पण

सन 1973 में रायगढ़ जिले के नवापारा गांव में जन्मे डॉ. देवेंद्र नायक बचपन से ही पीड़ितों के प्रति संवेदनशील रहे। गरीब और असहाय लोगों को देखकर उनके मन में करुणा जागती थी। इसी भावना ने उन्हें डॉक्टर बनने की प्रेरणा दी। साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि “ईश्वर जीवन देता है, लेकिन डॉक्टर ईश्वर की कृपा से उस जीवन को बचाता है, और वही मेरी पूजा है।”

एमबीबीएस और एम.एस. की पढ़ाई के बाद उन्होंने गैस्ट्रो सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांट में विशेष प्रशिक्षण लिया। महानगरों की चमक छोड़कर उन्होंने छत्तीसगढ़ को अपनी कर्मभूमि बनाया। यहां उन्होंने सर्जरी की नई मिसालें कायम कीं और स्वास्थ्य सेवाओं को आमजन तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया। अब तक उन्होंने 35,000 से अधिक ऑपरेशन किए हैं — जिनमें से कई ऐसे जटिल ऑपरेशन थे जो देश के केवल चुनिंदा अस्पतालों में संभव हैं।

‘बिटिया’ – बेटी बचाने की प्रेरक पहल

साक्षात्कार में डॉ. नायक ने बताया कि समाज में बेटी के जन्म पर निराशा की भावना देखकर वे व्यथित हो उठे। उन्होंने इस सोच को बदलने के लिए एक अनूठा अभियान शुरू किया — “बिटिया”।
इस योजना के तहत लड़की के जन्म पर डिलीवरी पूरी तरह निशुल्क की जाती है। अब तक 1500 से अधिक बेटियाँ श्री बालाजी हॉस्पिटल में निःशुल्क जन्म ले चुकी हैं।“बेटी सिर्फ परिवार नहीं, समाज का भविष्य गढ़ती है,”ऐसा कहते हुए डॉ. नायक ने इस पहल को समाज में नारी सम्मान का प्रतीक बना दिया।

कोविड काल की मिसाल: अस्पताल को जनता के लिए किया समर्पित

साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कोविड काल के अनुभव साझा किए। जब महामारी ने देश को जकड़ रखा था, तब डॉ. नायक ने कोरबा स्थित अपना पूरा अस्पताल सरकार को कोविड हॉस्पिटल के रूप में सौंप दिया।
उन्होंने कहा कि “उस समय लाभ नहीं, सेवा ही धर्म थी।”

उन्होंने स्वयं फ्रंटलाइन पर रहकर 38,000 से अधिक मरीजों को निःशुल्क चिकित्सा दी और नक्सल प्रभावित इलाकों में जाकर घायल जवानों का उपचार किया। अब तक 4000 से अधिक CRPF व अन्य सुरक्षा बलों के जवानों का निःशुल्क इलाज उनके अस्पताल में हुआ है।
हर वर्ष लगभग 1200 मरीजों का मुफ्त इलाज उनके व्यक्तिगत देखरेख में किया जाता है — जो सेवा के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण है।

रायपुर में बनेगा देश का पहला कैशलेस मल्टी-सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल

डॉ. नायक ने साक्षात्कार में यह भी बताया कि उनके समूह द्वारा रायपुर में देश का पहला प्राइवेट कैशलेस मल्टी-सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल बनाया जा रहा है — “मां पद्मावती हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज”।
यह परियोजना 340 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही है, जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में हुई।
इस अस्पताल में किसी भी तरह का कैश काउंटर नहीं होगा, और मरीज सरकारी योजनाओं व इंश्योरेंस के तहत पूरी तरह कैशलेस इलाज पा सकेंगे।
यह अस्पताल न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पड़ोसी राज्यों के मरीजों के लिए भी वरदान सिद्ध होगा और हजारों लोगों को रोजगार देगा।

स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक – एक संपूर्ण मिशन

डॉ. नायक का मानना है कि “डॉक्टर और नर्स की कमी से स्वास्थ्य व्यवस्था अधूरी रह जाती है।”
इसी सोच से उन्होंने श्री बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़, नर्सिंग कॉलेज और पैरामेडिकल कॉलेजों की स्थापना की।
आज यह समूह मध्य भारत का सबसे बड़ा निजी स्वास्थ्य संस्थान बन चुका है, जो 2500 से अधिक युवाओं को रोजगार दे रहा है।
उनका विज़न है — “हर गांव से एक नर्स, हर शहर से एक डॉक्टर समाज को समर्पित होना चाहिए।”

सरकारी योजनाओं से जोड़ा आमजन को

साक्षात्कार में उन्होंने यह भी बताया कि उनके अस्पताल समूह ने आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य बीमा योजना, संजीवनी योजना जैसी कई सरकारी योजनाओं के तहत लाखों मरीजों का इलाज किया है।
अब तक 2 लाख से अधिक लोग उनके अस्पतालों और हेल्थ कैंपों से लाभान्वित हो चुके हैं।
डॉ. नायक का कहना है —“हर जीवन अनमोल है, हर मरीज प्राथमिकता है, और हर दिन किसी की जिंदगी बदलने का अवसर।”

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा का विस्तार

डॉ. नायक का सामाजिक मिशन केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं है। उन्होंने बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जाकर मेडिकल कैंप आयोजित किए।
उनकी टीम ने ग्रामीणों, आदिवासियों और घायल जवानों के लिए लगातार मुफ्त सर्जरी और जांचें कीं।
उन्होंने कहा —“जहां सरकारी अस्पताल नहीं पहुंचते, वहां डॉक्टर की सेवा भावना पहुंचना चाहिए।”

जनसेवा के प्रति अटूट निष्ठा

डॉ. नायक का व्यक्तित्व सिर्फ एक चिकित्सक का नहीं बल्कि एक मानवतावादी योद्धा का है। वे कहते हैं कि “सेवा ही सच्ची साधना है, और अस्पताल मेरे लिए मंदिर।”
उनके नेतृत्व में Shri Balaji Group of Hospitals & Colleges आज स्वास्थ्य, शिक्षा और सेवा का प्रतीक बन चुका है।

डॉ. देवेंद्र कुमार नायककी सोच, कार्य और समर्पण ने उन्हें केवल एक चिकित्सक नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा बना दिया है।“जब डॉक्टर सेवा का प्रण लेता है, तब समाज स्वस्थ और समृद्ध बनता है,”
ऐसे शब्दों के साथ डॉ. नायक ने साक्षात्कार समाप्त किया, और यह संदेश छोड़ा कि “सर्जरी की ड्रेस में भी समाजसेवा का योद्धा बसता है।”