Business Leader: रायपुर में आधुनिक जीवनशैली का प्रतीक बन चुका “जोरा – द मॉल” आज राजधानी का सबसे बड़ा आकर्षण है. इस मॉल के पीछे एक ऐसा नाम है जिसने मेहनत, साहस और दूरदृष्टि से सपनों को हकीकत में बदल दिया—वह हैं विजय झंवर. न्यूज़ 24 MP-CG और लल्लूराम डॉट कॉम के सलाहकार सम्पादक संदीप अखिल के साथ 23 नवंबर को न्यूज 24 MP-CG को प्रसारित अपने साक्षात्कार में विजय झंवर ने अपने जीवन के प्रेरक सफर के बारे में बताया.

ज़ोरा – बंद पड़े प्रोजेक्ट से राजधानी का चमकता मॉल

विजय झंवर ने साझा किया कि ज़ोरा केवल एक मॉल नहीं, बल्कि उनके आत्मविश्वास, दूरदृष्टि और कठिन चुनौतियों को अवसर में बदलने की क्षमता का प्रतीक है. कोविड काल के बाद रायपुर में मनोरंजन और आधुनिक शॉपिंग की कमी देख उन्होंने बंद पड़े प्रोजेक्ट ट्रेज़र आइलैंड (टी.आई.) को नीलामी से खरीदा और अपनी मेहनत से इसे नया रूप दिया.

नामकरण की चुनौती और “ज़ोरा” का चयन

विजय झंवरने बताया कि मॉल को नया नाम देना आसान काम नहीं था. पहले इसे टी.आई. के नाम से जाना जाता था, लेकिन नाम रजिस्टर नहीं हो पाया. तभी उन्होंने रायपुर के पास “जोरा” गांव का नाम याद किया और इसे आधुनिक स्पर्श देते हुए “ज़ोरा” कर दिया. इसका अर्थ है—सूर्य की पहली किरण. उन्होंने इसे केवल नाम नहीं, बल्कि नई रोशनी और शुरुआत का प्रतीक माना. आज “ज़ोरा – द मॉल” इस नाम की सार्थकता और विजय झंवर की दूरदृष्टि को दर्शाता है.

आधुनिक रायपुर की धड़कन

आज ज़ोरा प्रदेश का सबसे बड़ा मॉल है. यह प्रीमियम ब्रांड्स और आम उपभोक्ताओं, दोनों के लिए आदर्श स्थल है. विजय झंवर ने व्यक्तिगत रूप से 20-25 नए ब्रांड्स को लाया, जो पहली बार छत्तीसगढ़ में आए. वर्तमान में लगभग 150 ब्रांड सक्रिय हैं और भविष्य में और भी जुड़ने वाले हैं.

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

विजय झंवर ने 2002 में नागपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. उनका पारिवारिक व्यवसाय माइनिंग कांट्रैक्टरशिप (MDO) था. पढ़ाई के बाद उन्होंने दो वर्षों तक पिता के व्यवसाय को संभाला. लेकिन उनका मन हमेशा अपना उद्योग स्थापित करने में लगा. 24 वर्ष की उम्र में उन्होंने रायपुर में स्पंज आयरन उद्योग की स्थापना की. शुरुआती छह महीने व्यापारिक नुकसान भरे रहे, लेकिन पिता के हौसले और अपने धैर्य के कारण विजय झंवर ने हार नहीं मानी. यही संघर्ष बाद में उनकी सफलता की असली नींव बना.

उद्योग और समाज के लिए योगदान

विजय झंवर ने बताया कि 2008 में उन्होंने प्रदेश का पहला वेस्ट रिकवरी बेस पावर प्लांट लगाया. 2012 में बिलासपुर में बंद पड़े प्लांट को नया जीवन दिया. 2014 में वे मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के महासचिव बने और उद्योग जगत की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभाई. 2016 में उन्हें भारत सरकार के स्टील कंज़्यूमर काउंसिल ऑफ इंडिया और जॉइंट प्लांट कमेटी में प्रतिनिधित्व मिला. विजय झंवर का मानना है कि उद्योग केवल लाभ कमाने का साधन नहीं, बल्कि स्थानीय रोजगार और समाज के विकास का माध्यम होना चाहिए. उनके बिलासपुर उद्योग में 60-70% कर्मचारी स्थानीय क्षेत्र के हैं.

भविष्य की योजनाएं और शिक्षा में योगदान

विजय झंवर ने अपने साक्षात्कार में साझा किया कि उनका ड्रीम प्रोजेक्ट बस्तर में उद्योग लगाना है. इसके अलावा वे शिक्षा क्षेत्र में योगदान देना चाहते हैं. उनका सपना है कि आने वाले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ में ब्रांडेड स्कूल स्थापित हों, जहाँ स्थानीय बच्चे बाहर न जाएं, बल्कि अन्य राज्यों से भी बच्चे पढ़ने आएं. वे स्किल डेवलपमेंट को युवाओं के लिए सबसे बड़ी जरूरत मानते हैं. उनका मानना है कि उद्योग जगत को इसमें योगदान देना चाहिए ताकि प्रशिक्षित युवा सीधे फैक्ट्रियों में बेहतर अवसर पा सकें.

निजी जीवन और परिवार

विजय झंवर कहते हैं कि परिवार को समय देना उतना ही आवश्यक है जितना उद्योग को. अब वे परिवार के साथ समय बिताने और छुट्टियाँ मनाने को प्राथमिकता देते हैं.

युवाओं के लिए संदेश

विजय झंवर युवाओं से कहते हैं:
• अपने लक्ष्य को तय कीजिए और उससे पीछे मत हटिए.

• निरंतर प्रयास करते रहिए.

• हर तरह के नशे से दूर रहिए, क्योंकि उद्योग और व्यापार से बड़ा नशा और कोई नहीं.


छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ उद्योगपति कमल सारडा को अपना रोल मॉडल मानने वाले विजय झंवर प्रथम पीढ़ी के उद्यमी हैं. स्पंज आयरन और स्टील उद्योग से लेकर आधुनिक रिटेल और शिक्षा तक, उनका हर कदम प्रदेश को नई ऊँचाई देता है. “ज़ोरा – द मॉल” उनकी दृष्टि का प्रतीक है—एक बंद पड़े सपने को रोशनी में बदलने की कला. आने वाले समय में विजय झंवर न केवल उद्योग जगत बल्कि छत्तीसगढ़ के भविष्य को नई दिशा देंगे.