सुप्रिया पांडेय, रायपुर। त्यौहारी सीजन में ऑनलाइन खरीदारी के प्रति लोगों के रुझान को देखते हुए छत्तीसगढ़ के व्यापारियों ने लोगों को आगाह किया है कि ऑनलाइन कंपनियों के झांसे में ना पड़े. ये भ्रामक विज्ञापनों के सहारे सामान लेने के लिए आकर्षित करती है, और लोग केवल एमआरपी में फर्क देखकर ऑनलाइन सामान खरीद लेते हैं. लोगों को क्वांटिटी और क्वालिटी में फर्क करना चाहिए. लोगों को सामान की कीमत नहीं बल्कि वह कितने ग्राम का है, यह चेक करना चाहिए.
ऑनलाइन सामान को लेकर के व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी ने बताया कि कोरोना काल में आमजनता की सेवा जिस तरह से व्यापारियों ने की है, उतनी किसी भी ऑनलाइन कंपनी ने नहीं की. इस दौर में पड़ोस के किराना दुकान से मदद मिली, लेकिन जब सामान खरीदने की बात सामने आती है तो लोग ऑनलाइन सामान पर भरोसा करते हैं. उन्होंने कहा कि जब आप ऑनलाइन कोई वस्तु मंगवाते हैं, तो क्या वे आपको बिल देते है. जो जीएसटी स्थानीय व्यापारी आपसे लेते हैं, वह सरकार को देते हैं. सरकार हमारे लिए सुख-सुविधाएं देती है, लेकिन ऑनलाइन कंपनियां हमें कुछ भी नहीं देती. इन कंपनियों का आम जनता को बहिष्कार करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कंपनियां ऑफर्स निकालती है, जिसमें सामान की कीमत नहीं बल्की वह कितने ग्राम का है यह चेक कर लेना चाहिए. अगर कोई बड़ी कंपनी आपको किसी चीज का ऑफर करती है तो आप उस प्रोडक्ट का ग्राम चेक किजिए. ऑनलाइन कंपनियों द्वारा इस तरह का गोलमाल किया जाता है, सभी उपभोक्ताओं को सजग और सतर्क रहना चाहिए.
चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष जितेन्द्र बरलोटा ने बताया कि बड़ी-बड़ी ऑनलाइन कंपनियां में खरीदारी करते समय लोग वस्तु के एमआरपी को लेकर कंफ्यूज हो जाते हैं. स्थानीय दुकानदार जो सामान बेचते हैं, वो सामान उपभोक्तओं को सही दाम पर मिलते हैं. बहुत सारी बड़ी कंपनियां हैं, जो अपने सामानों को इस तरह से प्रचारित करती है कि वे दुकान से ज्यादा सस्ते में सामान बेचते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. क्वांटिटी और क्वालिटी के साथ-साथ एमआरपी पर फर्क होता है, जिससे कई बार उपभोक्ता धोखा खा सकते हैं. त्योहार के मौके पर लोगों से अपील है कि वे स्थानीय दुकानदारों से सामान खरीदें और बिल्कुल भी कन्फ्यूज ना हो कि ऑनलाइन कंपनियां सस्ते में सामान देती हैं.
वहीं सतीश जैन ने बताया कि ऑनलाइन सामान के लिए भ्रामक विज्ञापन आते है, और लोग एमआरपी में फर्क देखकर उसे खरीद लेते है. लेकिन ऑनलाइन सामान की खरीदारी में वजन कम कर देते हैं, आपको 1 बार वो प्रोडक्ट सही मिलेगा, लेकिन दूसरी बार से उसका वजन कम कर दिया जाता है. दूसरी बार वो समान 980 ग्राम का मिलेगा तीसरी बार 900 ग्राम. ग्राहक ये चीज समझ नहीं पाते हैं. ऑनलाइन सामान से ज्यादा सस्ता बाजारों में उपलब्ध है. यदि वे एक चीज सस्ती करते हैं, तो दूसरी वस्तु के दाम बाजार मूल्य से डेढ़ गुना अधिक होता है. ऑनलाइन कंपनियां विज्ञापन करके ग्राहकों को आकर्षित करते हैं, और विज्ञापनों की वजह से आम जनता इनके झांसे में आ जाते हैं.