चंद्रकांत/बक्सर: जिले में स्थित गोलंबर चौराहा इन दिनों जाम का ऐसा स्थायी केन्द्र बन चुका है, जहां दिन क्या, रात भी सड़क पर फंसे वाहन आम दृश्य बन गए हैं. स्थिति यह है कि बीती रात से सुबह तक लगभग 4 किलोमीटर तक गाड़ियों की कतार जस की तस लगी रही. वाहन रेंगने तक की स्थिति में नहीं थे. स्कूल वाहनों से लेकर निजी व व्यवसायिक गाड़ियां भी इस नापाक ट्रैफिक व्यवस्था का शिकार बनी रहीं.
ट्रैफिक हो जाता है अस्त-व्यस्त
स्थानीय लोगों का कहना है कि गोलंबर पर ट्रैफिक नियंत्रण पूरी तरह विफल हो चुका है. न तो पुलिस की उपस्थिति से राहत मिल रही है और न ही जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) या मोटरयान निरीक्षक (एमवीआई) की निगरानी से कोई असर पड़ रहा है. उलटे इन पदाधिकारियों की मौजूदगी में ही ट्रैफिक और अधिक अस्त-व्यस्त हो जाता है.
अभिभावकों में देखा गया आक्रोश
स्कूल जाने वाले बच्चों के अभिभावकों में इस स्थिति को लेकर खासा आक्रोश देखा गया. अभिभावकों ने बताया कि प्रतिदिन बच्चों को समय से स्कूल पहुंचाना मुश्किल हो गया है. जिन स्कूलों की पहली पाली सुबह 6:30 से शुरू होती है, उनके वाहन 7:30 तक भी गोलंबर पार नहीं कर पाते. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई और अनुशासन दोनों प्रभावित हो रहे हैं. वहीं, कुछ वाहन चालकों ने बताया कि देर रात से ही गोलंबर पर ट्रकों की लंबी कतार लग जाती है, जिससे सुबह होते-होते पूरा इलाका एक बड़े पार्किंग स्थल में तब्दील हो जाता है. इन ट्रकों की कोई मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण ये मनमाने ढंग से रुकते हैं और पूरे ट्रैफिक को बाधित करते हैं.
पुलिस रहती है तैनात
दिलचस्प बात यह है कि उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित भरौली गोलंबर से पुलिस को हटाए जाने के बाद वहां अब जाम की स्थिति नहीं रहती. स्थानीय नागरिकों का मानना है कि बक्सर गोलंबर की तरह यदि वहां भी पुलिस तैनात रहती, तो जाम का आलम शायद और भी भयावह होता. इससे यह संकेत मिलता है कि जहां प्रशासनिक अमला खड़ा होता है, वहां व्यवस्था और अधिक जटिल हो जाती है.
‘होमगार्ड की हो तैनाती’
सवाल यह उठता है कि जब प्रशासन की मौजूदगी में ही ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ रही है, तो फिर इसका समाधान किससे अपेक्षित है? क्या जिम्मेदार अधिकारी अपनी जवाबदेही से बच रहे हैं या फिर जमीनी स्तर पर समन्वय की कमी इस जाम का मूल कारण है? बक्सरवासियों की मांग है कि गोलंबर पर ट्रैफिक के स्थायी समाधान के लिए एक ठोस रणनीति बनाई जाए. अव्यवस्थित ट्रकों की आवाजाही पर नियंत्रण, पार्किंग व्यवस्था में सुधार और ट्रैफिक सिग्नल व होमगार्ड की तैनाती जैसे कदम उठाए जाएं, ताकि रोजाना इस नायाब अव्यवस्था का सामना कर रहे लोग राहत की सांस ले सकें.
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