धनतेरस का पर्व दीपावली से पहले आने वाला शुभ दिन होता है, जिसे धन, आरोग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. इस दिन बाजारों में रौनक देखते ही बनती है. सोना, चांदी, बर्तन और झाड़ू तक की खरीददारी शुभ मानी जाती है. परंपरा है कि धनतेरस पर झाड़ू खरीदना केवल सफाई के लिए नहीं, बल्कि दरिद्रता को घर से बाहर करने का प्रतीक भी है.

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, झाड़ू देवी लक्ष्मी का रूप मानी गई है. कहते हैं, जैसे झाड़ू घर की गंदगी को साफ करती है, वैसे ही मां लक्ष्मी की कृपा से जीवन की नकारात्मक ऊर्जा और कर्ज दूर होते हैं. धनतेरस की संध्या में नई झाड़ू घर के मुख्य द्वार के दाईं ओर रखी जाए और दीपक जलाकर ॐ महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का 11 बार जाप किया जाए. इससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.

अगले दिन यानी दिवाली की रात, लक्ष्मी-गणेश पूजा के बाद उसी झाड़ू से घर के कोनों की हल्की सफाई करनी चाहिए. यह मान्यता है कि ऐसा करने से पूरे वर्ष धन की बरकत बनी रहती है. झाड़ू का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि उसे कभी पैर न लगाएं, न ही उल्टा रखें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं.