नई दिल्ली। कोरोना काल में एक तरफ जहां पूरी दुनिया मंदी की मार झेल रही है, वहीं दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था नई ऊर्जा के साथ नई ऊंचाइयों को छू रही है. इस बात की पुष्टि कोई और नहीं बल्कि ग्लोबल रेटिंग एजेसी एसएंडपी कर रही है. एसएंडपी के अनुसार, भारतीय इकोनॉमी 3.4 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर साल 2031 तक 6.7 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी.

रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने अगस्त वॉल्यूम रिपोर्ट ‘लुक फॉरवर्ड इंडिया मोमेंट’ में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर जानकारी साझा की है. एजेंसी ने कहा है कि विनिर्माण और सेवाओं के निर्यात और उपभोक्ता मांग के कारण यह तेजी बनी रहेगी. एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था लगभग दोगुनी होने से प्रति व्‍यक्ति आय भी बढ़ जाएगी. 2031 तक भारत पर कैपिटा जीडीपी 2500 से बढ़कर 4500 डॉलर तक हो जाएगी.

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने इसके पहले कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत की वृद्धि दर सबसे अधिक रहेगी. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने एशिया-प्रशांत के लिए अपनी तिमाही आर्थिक समीक्षा में कहा है कि घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती के कारण भारत की वृद्धि दर छह प्रतिशत रहेगी.

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) लुइस कुइज ने कहा कि मध्यम अवधि के लिए वृद्धि अनुमान अपेक्षाकृत ठोस बना हुआ है. एशिया की उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं 2026 तक हमारे वैश्विक वृद्धि परिदृश्य में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बनी हुई हैं. एसएंडपी ने 2023 के लिए चीन की वृद्धि दर का अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया है.

6.9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि की उम्मीद

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 6.9 प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद भी जताई है. एसएंडपी के मुताबिक, 2024-25 और 2025-26 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है. वहीं 2026-27 में यह बढ़कर 7.1 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा.