नई दिल्ली। कारोबारियों को काले कारोबार में मदद करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA), कंपनी सचिव (CS) और कॉस्ट अकाउंटेंट की अब खैर नहीं. केंद्र सरकार के नए नियम के तहत इन्हें कुछ खास तरह के वित्तीय लेनदेन के लिए पीएमएलए (PMLA) के तहत जवाबदेह ठहराया जा सकता है.
वित्त मंत्रालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act – PMLA), 2002 में बदलावों को मंजूरी दे दी है, जिसमें पेशेवरों द्वारा सुगम किए गए कई लेनदेन शामिल हैं. उन्हें ग्राहकों के धन के स्रोतों सहित स्वामित्व और वित्तीय स्थिति की जांच करने और निर्दिष्ट लेनदेन के उद्देश्य को रिकॉर्ड करने की आवश्यकता होगी. यदि वे कानून का उल्लंघन करने वाले लेन-देन की सुविधा देते हैं तो वे PMLA के तहत उत्तरदायी होंगे.
PMLA की धारा 2 की उप-धारा (1) के खंड (एसए) के उप-खंड (vi) में बदलाव किए गए हैं, जो ‘प्रासंगिक व्यक्तियों’ और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत आने वाली फर्मों को परिभाषित करता है. इससे पहले, अधिनियम में इन पेशेवरों को शामिल नहीं किया गया था. एक रिपोर्ट के अनुसार, अब चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरी और कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट ‘रिपोर्टिंग एंटिटी’ बन गए हैं.
जो अब ग्राहकों की अचल संपत्ति की खरीद और बिक्री, संपत्तियों का प्रबंधन, कंपनियों की स्थापना, संचालन या प्रबंधन, सीमित देयता भागीदारी या ट्रस्ट, और व्यावसायिक संस्थाओं की खरीद और बिक्री के लिए जिम्मेदार होंगे.
मार्च के महीने में किया था बदलाव
इससे पहले बीते मार्च महीने में सरकार ने PMLA में संशोधन किया था. इसके तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए पॉलिटिकल एक्सपोज्ड पर्सन के फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन का ब्योरा रखना अनिवार्य कर दिया था. इसके साथ ही, PMLA के प्रावधानों के तहत वित्तीय संस्थानों या अन्य संबद्ध एजेंसियों को नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशंस के वित्तीय लेनदेन के बारे में सूचना जुटाना भी अनिवार्य कर दिया गया है.
2002 में पारित हुआ था PMLA
बता दें कि साल 2002 में धन शोधन निवारण अधिनियम या प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) को पारित किया गया था. उसके बाद 1 जुलाई 2005 में इस अधिनियम को लागू कर दिया गया. इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग पर पूरी तरह रोक लगाना है. इसके अलावा इस एक्ट का अन्य उद्देश्य आर्थिक अपराधों में काले धन के इस्तेमाल को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे मिली संपत्ति को जब्त करना और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दूसरे अपराधों पर अंकुश लगाना है.
2012 में हुआ था अहम बदलाव
2012 में किए गए संशोधन के मुताबिक, सभी फाइनेंशियल संस्थाओं, बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियो और उनके वित्तिय मध्यस्थों पर भी PMLA लागू होता है. 2019 में भी इस कानून में कुछ संशोधन के रूप में बदलाव किए गए थे. इसके मुताबिक ईडी द्वारा उन लोगों या संस्थाओं पर भी कार्रवाई की जा सकती है, जिनका अपराध PMLA के तहत न हो.
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