रायपुर। राज्य सरकार ने किसानों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने राज्य के सभी सहकारी बैंकों का पुनर्गठन करने का निर्णय लिया है। जिसके तहत राज्य सहकारी बैंक की स्थापना कर सभी सहकारी बैंकों को उसमें संविलयन किया जाएगा।
संविलयन के पश्चात भी सहकारी बैंकों की प्रदेश में कुल 264 शाखाएं पूर्ववत काम करती रहेंगी, लेकिन यह शाखाएं एक शेड्यूल्ड सहकारी बैंक के रूप में अपनी सेवाएं देंगे। मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय से किसानों और ग्राहकों को काफी लाभ होगा। किसानों के ऋण पर ब्याज दरों में डेढ़ से 2 फ़ीसदी की कमी आएगी।
जिसका सीधा लाभ राज्य सरकारों को ब्याज अनुदान में 40 से 50 करोड़ रुपए की वार्षिक बचत के रूप में होगी। किसानों से ली जाने वाली अंश पूंजी की राशि में भी 5% तक कमी लाई जा सकेगी। किसानों को अधिकतम आधुनिकतम बैंकिंग सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों में ही प्राप्त हो सकेंगी। एटीएम और माइक्रो एटीएम सेवाओं का विस्तार संभव हो सकेगा।
सहकारी बैंकों के किसान राज्य भर में स्थित किसी भी शाखा से अपने खातों में लेनदेन कर सकेंगे। जल्द ही मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग जैसी सुविधाएं दी जा सकेंगे। डॉक्टर रमन सिंह ने बताया कि संविलियन के बाद बैंक की कार्यशील पूंजी 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक होगी बैंक के पास किसानों को ऋण वितरण के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध होगी।
इसके अलावा राष्ट्रीय कृत कृत राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड से सस्ती दर पर अधिक पुनर्वित्त सुविधा प्राप्त होगी। शासकीय मान्यता भी सहकारी बैंकों को प्राप्त होने लगेगी जिन क्षेत्रों में नई शाखा खोलने की जरूरत है। वहां ज्यादा संख्या में नई शाखाएं खोली जा सकेंगी मध्यकालीन और दीर्घकालीन ऋण वितरण में तेजी आएगी उल्लेखनीय है कि इस प्रकार का बड़ा आर्थिक सुधार करते हुए भारतीय स्टेट बैंक में भी हाल ही में 4 बैंकों का विलय हुआ है और राज्य के और राज्य में 5 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को मिलाकर छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक का गठन किया गया है।