वैभव बेमेतरिहा, रायपुर। भारतीय जनता पार्टी अब पुरानी वाली पार्टी नहीं रह गई है. पार्टी में जारी बदलावों के साथ देशभर में एक नई भाजपा तैयार हो रही है. और इस नई भाजपा में छत्तीसगढ़ भाजपा भी शामिल है. जहां संगठन और सत्ता में नए समीकरणों के साथ नए चेहरों को शामिल किया गया है, किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ भाजपा की बहुप्रतीक्षित संगठन विस्तार के बाद अब सत्ता का विस्तार भी होने जा रहा है. साय कैबिनेट में खाली मंत्री पदों को भरा जा रहा है. और यहां संगठन की तरह से नए चेहरों को मौका दिया जा रहा है. नए चेहरों को शामिल करने के पीछे छत्तीसगढ़ में एक नया समीकरण तैयार करना है. लेकिन नए चेहरे और नए समीकरण के साथ नई भाजपा है क्या ? आखिर राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से पार्टी छत्तीसगढ़ में क्या संदेश देना चाहती है ? क्या पार्टी पुराने अनुभवी नेताओं के सहारे अब नहीं रहना चाहती ? या पार्टी 2028 विधानसभा वनडे कप के हिसाब से अभी से एक नई टीम खड़ा करना चाहती है. जिसमें साय और देव की टीम में अधिकतर नए खिलाड़ी ही हो ?

इन सवालों का जबाव मौजूदा जो बदलाव हुआ या होने जा रहा है उससे तो यही मिल रहा है कि 2028 के चुनाव में पार्टी नए चेहरों के साथ ही उतरेगी. शायद पार्टी नहीं चाहती कि जो 15 साल तक सत्ता सुख भोग चुके हैं उन्हें पुनः सुख भोगने का मौका दिया जाए. शायद पार्टी यह भी देखना चाहती हो कि नए चेहरों के साथ क्या छत्तीसगढ़ में एक नई मजबूत टीम चुनावी लिहाज से तैयार की जा सकती है या नहीं ?

वैसे बदलावों का यह सिलसिला यहीं थम जाएगा ऐसा भी नहीं है. भाजपा की नीति-रणनीति के जानकार बताते हैं कि बजट सत्र के बाद भी साय कैबिनेट में एक और बदलाव भी हो सकता है. अर्थात सरकार में मौजूदा कुछ मंत्री बाहर किए जाएंगे और कुछ नए चेहरों को और अवसर दिया जाएगा.

पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ सूत्रों की माने तो इस विस्तार से यह संदेश भी उन दिग्गज विधायकों को दे दिया जा रहा है कि वे अब छत्तीसगढ़ पार्टी संगठन की मजबूती के लिए काम करें और अपने अनुभवों का फायदा नई टीम को पहुंचाएं. वहीं यह भी चर्चा है कि राष्ट्रीय संगठन के विस्तार में छत्तीसगढ़ के कुछ वरिष्ठों को शामिल किया जा सकता है. राज सत्ता में नहीं, राष्ट्रीय संगठन में अवसर बाकी है.

भाजपा संगठन में जैसे अनुमानों से कहीं अलग किरण देव की नई टीम तैयार हुई. फिर चाहे इसमें प्रदेश उपाध्यक्षों के नाम हो या फिर महामंत्रियों के नाम. मोर्चा प्रकोष्ठों के साथ मीडिया विभाग और प्रवक्ताओं में फेरबदल के साथ पार्टी ने बता दिया कि छत्तीसगढ़ में एक नई भाजपा को तैयार किया जा रहा है, जिसमें वर्तमान के साथ भविष्य की कार्ययोजना शामिल है.

कुछ इसी तरह से साय सरकार में बड़े-बड़े दिग्गजों को मंत्री पद से दूर रख नए चेहरों को मौका देकर पार्टी भविष्य की रणनीति, कार्ययोजना और समीकरण को तैयार कर रही है. हालांकि जमीनी तौर पर इसका प्रभाव सरकार और राज्य के विकास पर कितना पड़ेगा इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता. लेकिन एक पूर्वानुमान यह है कि पार्टी हाईकमान मुख्यमंत्री साय को दिग्गजों के प्रेशर पॉलिटिक्स से दूर रखना चाहती है. पार्टी हाईकमान शायद चाहती है कि पहली बार के विधायकों के साथ मुख्यमंत्री साय छत्तीसगढ़ में खुद को साबित करें, स्वतंत्र रूप से स्थापित करें और नई भाजपा को मजबूती दें.

सरकार में तीन नए चेहरों को शामिल करने के पीछे का क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण

ये हैं छत्तीसगढ़ भाजपा के दिग्गज विधायक, जो साय सरकार में नहीं बन पाए मंत्री

पुन्नूलाल मोहिले, मुंगेली विधायक, एससी ( बिलासपुर संभाग )

पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक 6 बार के विधायक पुन्नूलाल मोहिले अविभाजित मध्यप्रदेश में पहली बार 1985 में विधानसभा पहुंचे थे. रमन सरकार में 2008 से 2018 तक लगातार 10 साल मंत्री रहे. उन्होंने खाद्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी. वे 4 बार लोकसभा सांसद भी रहे.

अमर अग्रवाल, बिलासपुर विधायक, सामान्य वैश्य समाज ( बिलासपुर संभाग)

5 बार के विधायक अमर अग्रवाल 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. रमन सरकार में 2003 से 2018 तक लगातार 15 साल तक मंत्री रहे. उन्होंने वित्त, वाणिज्य, आबकारी, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं राजस्व जैसे मंत्रालयों की बड़ी जिम्मेदारी संभाली थी.

अजय चंद्राकर, कुरूद विधायक, ओबीसी ( रायपुर संभाग)

5 बार के विधायक अजय चंद्राकर भी 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. रमन सरकार में 2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक 10 साल मंत्री रहे. उन्होंने पंचायत, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति एवं पर्यटन के साथ संसदीय कार्य मंत्री की बड़ी जिम्मेदारी संभाली थी.

राजेश मूणत, रायपुर पश्चिम विधायक, अल्पसंख्यक, ( रायपुर संभाग)

4 बार के विधायक राजेश मूणत पहली बार 2003 में विधायक बने थे. रमन सरकार में 2003 से 2018 तक लगातार 15 वर्षों तक मंत्री रहे. उन्होंने लोक निर्माण, उच्च शिक्षा, आवास एवं पर्यावरण, परिवहन, नगरीय-प्रशासन जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाली थी.

लता उसेंडी, कोंडागांव विधायक, एसटी ( बस्तर संभाग)

3 बार की विधायक लता उसेंडी भी 2003 में पहली बार विधायक बनीं थीं. रमन सरकार में 2003 से 2013 तक 10 साल मंत्री रहीं हैं. उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी.

विक्रम उसेंडी, अंतागढ़ विधायक, एसटी ( बस्तर संभाग)

4 बार के विधायक विक्रम उसेंडी अविभाजित मध्यप्रदेश में 1993 में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. रमन सरकार में 2003 से 2008 तक मंत्री रहे. उन्होंने वन, स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, सूचना प्रद्योगिकी जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली थी. सांसद और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे.

धरम लाल कौशिक, बिल्हा विधायक, ओबीसी

4 बार के विधायक धरम लाल कौशिक अविभाजित मध्यप्रदेश में 1998 में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. कौशिक को रमन सरकार में मंत्री बनने का मौका नहीं मिला. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के साथ पार्टी प्रदेशाध्यक्ष और नेता-प्रतिपक्ष विधानसभा भी रहे.

साय सरकार का वर्तमान मंत्रिमंडल और संभागवार स्थिति

सरगुजा संभाग( 14 भाजपा विधायक)
वर्तमान में 4 मंत्री

विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री विधायक कुनकुरी (एसटी)

रामविचार नेताम, कृषि मंत्री
विधायक रामानुजगंज (एसटी)

श्यामबिहारी जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री
विधायक मनेन्द्रगढ़ (ओबीसी)

लक्ष्मी राजवाड़े, महिला एवं बाल विकास मंत्री
विधायक सूरजपुर (ओबीसी)

बिलासपुर संभाग ( 8 भाजपा विधायक)
वर्तमान में 3 मंत्री

अरुण साव, उपमुख्यमंत्री
विधयाक लोरमी(ओबीसी)

लखन देवांगन, उद्योग मंत्री
विधायक कोरबा(ओबीसी)

ओपी चौधरी, वित्त मंत्री
विधायक रायगढ़ ( ओबीसी)

दुर्ग संभाग ( 9 भाजपा विधायक)
वर्तमान में 2 मंत्री

विजय शर्मा, उपमुख्यमंत्री
विधायक कवर्धा( सामान्य)

दयालदास बघेल, खाद्य मंत्री
विधायक नवागढ़ ( एससी)

रायपुर संभाग ( 12 भाजपा विधायक
वर्तमान में 1 मंत्री

टंकराम वर्मा, राजस्व मंत्री
विधायक बलौदाबाजार(ओबीसी)

बस्तर संभाग ( 8 भाजपा विधायक )
वर्तमान में मंत्री 1

केदार कश्यप, वन मंत्री
विधायक नारायणपुर (एसटी)