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इमरान खान, खंडवा। आशियाना भला किसे अच्छा नहीं लगता है। बिना आशियाना के जीवन निराशाओं के गर्त में डूबी रहती है फिर चाहे बात मानव जीवन की हो या जीव जंतु और पशु पक्षी की। तभी तो कहा गया है कि सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो फिर भूला नहीं कहते। इस तरह से घर का अपना महत्वपूर्ण स्थान होता है। कैबिनेट मंत्री विजय शाह और खंडवा कलेक्टर ने दरियादिली की अनूठी मिसाल पेश करते हुए कबूतरों को अपने ऑफिस के परिसर में आशियाना दिया है।
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दरअसल, खंडवा कलेक्ट्रेट का जो भवन है वह 115 साल से भी ज्यादा पुराना है। लिहाजा कलेक्ट्रेट भवन में 100 से भी ज्यादा कबूतरों का यहां पर बसेरा है। लेकिन ये कबूतर दीवारों की खोडर में पड़े रहते हैं। एक दिन जब कैबिनेट मंत्री विजय शाह बैठक लेने पहुंचे तो उन्होंने कबूतरों को इस तरह दीवारों पर देखा तो तत्कालीन के लिए घर की व्यवस्था करने के निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिए। और फिर क्या इन कबूतरों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए खंडवा कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने वन विभाग के डीएफओ राकेश डामोर के साथ मिलकर इनके लिए अलग-अलग स्थान पर लकड़ी के पिजन हाउस तैयार किए हैं और इसे कलेक्ट्रेट के अलग-अलग स्थान पर दीवारों पर टंगवा दिया गया है। अब कबूतरों को नया आशियाना मिल गया है।
मंत्री विजय शाह की चिंता को लेकर खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने तत्काल वन विभाग के साथ मिलकर इन बेजुबान कबूतरों को कलेक्ट्रेट में अलग-अलग स्थान पर वुड हाउस बनाकर इन्हें स्थान मुहैया कराया। अब इन कबूतरों को इनका नया आशियाना मिलने से कबूतर को संरक्षित किया जा सकेगा। न सिर्फ इन कबूतरों को संरक्षित किया जा सकेगा बल्कि पूरा कलेक्ट्रेट परिसर अब साफ और स्वच्छ भी दिखने लगा है।
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