रायपुर। शुक्रवार को एक तरफ जहां पूरे प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की चर्चा हो रही थी, उस दौरान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ विधानसभा में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक याने CAG की विस्फोटक रिपोर्ट पेश कर रहे थे. CAG ने न केवल राजधानी रायपुर में एक बार फिर से निर्माण शुरू किए जाने की वजह से चर्चा में आए स्काई वॉक को फिजूलखर्ची बताया है, बल्कि बिजली विभाग सहित अन्य विभागों की खामियों को उजागर किया है.
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नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में बताया गया कि स्काई वॉक के निर्माण की परियोजना को छत्तीसगढ़ शासन ने जल्दबाजी में शुरू किया था. परियोजना के लिए प्रशासनिक और तकनीकी स्वीकृति प्राप्त किए बिना निर्माण के लिए टेंडर बुलाया गया था.

यही नहीं कंसल्टेंट द्वारा टेंडर के पहले चरण का काम पूरे किए बिना ही कार्यादेश जारी कर दिया गया था. इससे काम पूरा होने में बाधा उत्पन्न हुई. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्काई वॉक के ड्राइंग डिजाइन में किए गए संशोधन में परियोजना की लागत बढ़ा दी. इससे इसके पूरा होने में और देरी हुई. जिसके कारण यह योजना अधूरी रह गई.
विद्युत विभाग को मिला कम राजस्व
इसके अलावा रिपोर्ट में विद्युत विभाग से जुड़े कामों में सरकार को हुए बड़े नुकसान का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में उपभोक्ता बिलिंग और संग्रहण दक्षता पर अनुपालन लेखापरीक्षा की. इसमें कहा गया है कि वर्ष 2017-18 से 2021-22 के दोरान उपभोक्ताओं को ऊर्जा वितरण के दौरान 9283.38 करोड़ के एमयू (मिलियन यूनिट) नष्ट हो गए. इससे कंपनी को 2157.15 करोड़ का राजस्व कम मिला.
खराब मीटर बदलने में देरी का खामियाजा
वहीं अन्य कारणों के साथ खराब मीटरों को बदलने में हुई देरी से 1353.60 करोड़ के एमयू का नुकसान हुआ. 2.65 करोड़ की कम बिलिंग कर उपभोक्ताओं को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. सब्सिडी की प्रतिपूर्ति नहीं करने से कंपनी को 2163.43 करोड़ का भार उठाना पड़ा. इसके अलावा कंपनी को 15.74 करोड़ का भी नुकसान उठाना पड़ा है. 31 मार्च 2022 की स्थिति में 301.83 करोड़ की राशि का समाधान नहीं हो सका है.
65 फीसदी युवाओं को ही दे सका प्रशिक्षण
रिपोर्ट के मुताबिक, शासन ने वर्ष 2022 तक 1.25 करोड़ कार्यशील आबादी को प्रमाणित कुशल तकनीशियन के रूप में प्रशिक्षित करने के लक्ष्य रखा है. जबकि छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास प्राधिकरण ने पूरे राज्य में वर्ष 2014-23 के दौरान 7,27,039 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा था. इस लक्ष्य के विपरीत 4,70,302 प्रशिक्षुओं (65 प्रतिशत) को ही प्रमाणित कर सका.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत, 17,504 के लक्ष्य के विपरीत केवल 8.481 (48 प्रतिशत) युवा सफलतापूर्वक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए और परीक्षा में उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं में से 3,312 (39 प्रतिशत) को नियोजित नहीं किया जा सका. 9 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इन प्रमाणपत्रों को मान्यता नहीं देने से प्रशिक्षु प्रभावित हुए तथा रोजगार और आजीविका प्राप्त करने का उद्देश्य पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया जा सका.
वर्ष 2019-20 से 2021-22 के दौरान मरम्मत एवं रखरखाव, सामग्री आपूर्ति और औजार एवं उपकरण शीर्ष के अंतर्गत 1,358.53 लाख की निधियों का उपयोग जिला कलेक्टर द्वारा नहीं किया गया था, और प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में बजट नियंत्रण अधिकारी के माध्यम से शासन को समर्पण कर दिया गया था.
अरपा भैंसाझार परियोजना को लेकर भी की टिप्पणी
सीएजी ने अरपा भैंसाझार परियोजना को लेकर भी टिप्पणी की है. इसके मुताबिक परियोजना में वन पर्यावरण मंजूरी और अंतरराज्यीय मंजूरी तथा केंद्रीय जल आयोग से डीपीआर की मंजूरी के बगैर ही इसका काम शुरू कर दिया गया था, जिसके कारण काम के दायरे और परियोजना के लागत में बदलाव हुआ.
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