रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने जनसंवाद परियोजना का शुभारंभ किया. ये एक कॉल सेंटर है जिसके ज़रिए सरकार अपनी योजनाओं की ज़मीनी हकीकत से रुबरु होगी. कॉल सेंटर नया रायपुर में बनाया गया है.

इसमें सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और हितग्राहियों को मिल रही सुविधाओं की जानकारी ली जाएगी. 198 कॉलर एक शिफ्ट में राज्य के लोगों संवाद करेंगे. कॉल सेंटर एग्जीक्यूटिव हिंदी, गोंडी,हल्बी, सरगुजिया, अंग्रेजी भाषा मे लोगों से बात करेंगे. सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत जानना जनसंवाद परियोजना का मकसद है. फिर फीडबैक के आधार पर योजनाओ को अधिक प्रभावी बनाया जाएगा.

इसका उद्धाटन करते हुए मुख्यमंत्री डॉक्टर ने रामपुर के ग्रामीण परदेशीराम से बात की. उन्होंने परदेशीराम से सरकारी योजनाओं के लाभ को लेकर कई सवाल किए. ग्रामीण से पूछा कि समय पर परिवार को चावल मिलता है या नहीं. राशन दुकान कौन चला रहा है. राशन कहीं और तो नहीं बिकता.

पीडीएस के बाद मुख्यमंत्री ने धान के बारे में पूछताछ की. उन्होंने ग्रामीण से पूछा कि धान बोए थे या नहीं. तो ग्रामीण ने बताया कि खेत नहीं है. फिर सीएम ने पूछा कि मनरेगा के तहत काम करते हो या नही. ग्रामीण ने जवाब दिया 49 दिन काम पर गया था. इसके बाद सीएम ने शौचालय की जानकारी ली. ग्रामीण ने बताया कि शौचालय का निर्माण हो रहा है जल्द बन जाएगा. इस पर सीएम ने कहा कि खुले में शौच जाने से रोकने के लिए आप लोगों को भिड़ना होगा.

सीएम की पूछताछ यहीं खत्म नहीं हुई.  उन्होंने उज्जवला योजना, पढ़ाई और स्वास्थ्य बीमा योजना से लेकर पानी की उपलब्धता की जानकारी हासिल की.

प्रशासन में चुस्ती लाने और पारदर्शिता के लिए नया इनोवेशन- डॉ. रमन सिंह

जनसंवाद परियोजना के शुभारंभ के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि- 
सरकार की बहुत सरकारी योजनाओं के फीड बैक लेने के कई तरीके होते हैं. मैं ग्राम सुराज पर जाता हूँ. जनसंवाद का सबसे बेहतर और सीधा संवाद करने का नया प्रयोग शुरू हो रहा है. छत्तीसगढ़ी, हल्बी, गोंडी, सरगुजिया जैसे कई लोकल भाषा मर बात करके सरकार की दस बड़ी योजनाओं को लेकर फीडबैक लिया जाएगा. 15 लाख से ज्यादा लोगों से बात करके जानकारी ली जाएगी. उन सभी फीडबैक की स्क्रीनिंग किया जाएगा. बिजली हो, राशन हो, नरेगा भुगतान का हो, स्कूलों-आंगनबाड़ी की हालात कैसी है. मध्यान्ह भोजन मिल रहा है या नहीं. नलकूप है या नहीं, बोरिंग चल रहा है या नहीं. ऐसे तमाम पहलुओं को लेकर हमारे पास फीडबैक आएगा. ये फीडबैक हमारी आंखें खोलने वाला साबित होगा. हर महीने मानिटरिंग करेंगे. करेक्टिव मेजर्स क्या क्या है. उसे ठीक करेंगे. विभागों से बात करके कैसे सुधारा जा सकता है. इस दिशा में काम किया जाएगा. छत्तीसगढ़ नया प्रयोग कर रहा है. प्रशासन में चुस्ती लाने, पारदर्शिता लाने के लिए एक नया इनोवेशन है. इसका बड़ा लाभ मिलेगा.