पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबन्द. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में वन भैंसे के गले में लगा कॉलर आईडी चार साल पुराने हो चुका था. जिस वजह से कॉलर आईडी ने मृत वन भैंसे का लोकेशन नहीं बता पाया. तीन दिन पहले हुई मौत को 48 घण्टे पहले हुई मौत के रुप में दर्शा दिया गया है. मुख्य वन सुरक्षा एच एल रात्रे ने राजकीय पशु वन भैंसे की मौत को प्राकृतिक मौत बताया है. आज पीएम के बाद स्थिति साफ हो जाएगा कि किस वजह से भैंसे की मौत हुई है.
दरअसल शनिवार की सुबह मैनपुर मूख्यालय से महज 5 किमी दूरी पर कॉलर आईडी लगे श्यामू नाम के वन भैंस की बॉडी देखकर उसके मौत का पता विभाग को चल सका. ग्रामीणों का दावा था कि इसकी मौत तीन दिन पहले हुआ था. मामले की ख़बर आला अफसरों को लगने के बाद मुख्य वन सुरक्षा एच एल रात्रे भी घटना स्थल पहुंच गए. उन्होंने मौत को सामान्य मौत बताया है. विभाग के मुताबिक 20 वर्ष की औसत आयु होती है, जबकि श्यामू की उम्र 23 साल हो गई थी. चिकित्सकों का दल भी पहुंचा था पर देर शाम होने के कारण मृत वन भैंसे का पीएम नहीं हो सका है. इसलिए अब तक कोई भी वास्तविक कारणों का पता नहीं चल सका.
कॉलर आईडी काम नहीं कर रहा था
पिछले कई सालों से अभ्यारण्य में रह कर वन भैंसों की निगरानी करने वाले वाइल्ड लाइफ के चिकित्सक आरपी मिश्र ने बताया को कॉलर आईडी काम करना बंद कर दिया था, लेकिन ट्रैकर के पास मौजूद वायरलेस से लोकेशन लिया जा रहा था. आपको बता दें कि पूरे भारत में पहली बार किसी वन भैंसे को ट्रैक करने कॉलर आईडी लगाने का प्रावधान 2014 में उदन्ति में किया गया था. दो साल धूल खाने के बाद 2016 में कॉलर आईडी बूढ़े श्यामू में ही लगाया गया था.
उठ रहे सवाल जिसका जवाब नहीं दिया अफसरों ने
सरकारी दावे के मुताबिक 48 घण्टे पहले मौत हुई तो इन दो दिनों में भी मृत भैस के पास ट्रैकर क्यों नहीं पहुंच सका. अधिकतम तीन साल तक काम करने वाले कॉलर आईडी लगाने के बाद महीनों से बन्द पड़ा था. फिर उसे सुधारा क्यों नहीं गया. बूढ़े श्यामू के अलावा अन्य 10 भी थे पर किसी कम उम्र के वन भैंसे में क्यों कॉलर आईडी नहीं लगाया गया. मृत भैंस का गुप्तांग गायब है, अगर किसी जानवर ने मृत पर धावा भी बोला होगा तो केवल गुप्तांग पर ही क्यों. मृत वन भैंसे के मल द्वार व मुंह के सामने से खून का बहाव है जिसे गैस परफार्मिंग के बाद डेड बॉडी पर होने वाले स्वतः क्रिया बताया गया है.
स्मृति के तौर पर सिंग को संजो के रख सकता है विभाग
श्यामू के स्मृति के तौर पर उसके सिंग को प्रिजर्व करने का मन विभाग ने बनाया है. हालांकि समाचार लिखे जाने तक प्रधान वन सुरक्षा कौशलेंद्र सिंह से यहां पहुंचे हुए अधिकारी सहमति नहीं ले सके थे. माना जा रहा है पीएम के बाद सिंग व कंकाल को सुरक्षित रखा जा सकता है.