भगवान विष्णु का विराट, दिव्य, चतुर्भूजी स्वरूप। इनके एक हाथ में चक्र, दूसरे में कमल, तीसरे में गदा और चौथे में पाञ्चजन्य शंख। हमारे सनातन धर्म में पाञ्चजन्य शंख का विशेष महत्व बताया गया है। इसे शुभ और पवित्र माना जाता है। इसकी ध्वनि को बेहद पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि पाञ्चजन्य शंख को भगवान श्रीकृष्ण ने दानव पांचजन्य को मारकर प्राप्त किया था, और फिर इसे धारण किया। इसलिए इसका नाम पाञ्चजन्य पड़ा। आइए आज हम आपको इस शंख से जुड़ी और बातें बताते हैं।

आपने डीडी नेशनल में महाभारत सीरियल देखा ही होगा। इसमें युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने शंख बजाकर अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाया था। शत्रुओं को भयभीत किया था। पाञ्चजन्य शंख का उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, जैसे पूजा, हवन व यज्ञ में किया जाता है। इसकी ध्वनि को शुभ होती है। मंगलकारी होती है। इसे विजय, शक्ति और धर्म का प्रतीक माना जाता है। यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है। इसलिए इसे घर में रखा जा सकता है।

​बिल्कुल शंख घर में रख सकते हैं

हिंदू धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना जाता है। बिल्कुल शंख को घर में रख सकते हैं। इसे हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। साथ ही उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।

शंख नाद से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है

वेदों में ऐसा उल्लेख है कि पाञ्चजन्य शंख को घर में रखने से वास्तु दोष से छुटकारा मिलता है। इसे बजाने से बजाने वाले में तो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, साथ ही घर का वातावरण भी ऊर्जा से भर जाता है। साथ ही पारिवारिक कलह-क्लेश से भी मुक्ति मिल जाती है। इसके घर में रखने से साक्षात भगवान विष्णु की आशीष मिलता है। माता लक्ष्मी घर में निवास करती हैं। आर्थिक तंगी से भी निजात मिलती है।