Canada ends fast-track visa programme: कनाडा ने 8 नवंबर को अचानक स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) फास्ट-ट्रैक वीजा सुविधा को बंद करने का ऐलान किया. यह सुविधा 2018 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य भारत सहित 14 देशों के छात्रों को जल्दी वीजा प्रदान करना था ताकि वे कनाडा में उच्च शिक्षा के लिए आसानी से प्रवेश ले सकें. अब इस सुविधा को बंद कर दिया गया है और नए वीजा आवेदनों के लिए सभी प्रक्रियाएं सामान्य रूप से पूरी की जाएंगी. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस फैसले का सबसे अधिक प्रभाव भारतीय छात्रों पर पड़ने की संभावना है, क्योंकि वे इस सुविधा का अधिकतम लाभ उठाते थे.

SDS प्रोग्राम का महत्व

SDS कार्यक्रम भारतीय और अन्य देशों के छात्रों के लिए काफी फायदेमंद था. इस योजना के तहत, अगर छात्र भाषा और वित्तीय योग्यताएँ पूरी करते थे, तो उनका वीजा आवेदन सिर्फ चार सप्ताह में निपट जाता था, जो सामान्य प्रक्रिया से आधा समय था. ग्लोबायन इमिग्रेशन कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष नरेश चावड़ा ने बताया कि इस सुविधा से छात्रों को वीजा मिलने की संभावना 95% तक बढ़ गई थी. अब इसके बंद होने से भारतीय छात्रों को वीजा मिलने की प्रक्रिया में और समय लग सकता है, जिससे उनकी कनाडा में उच्च शिक्षा के अवसरों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.

SDS प्रोग्राम को बंद करने की क्या है वजह

SDS प्रोग्राम को बंद करने के पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं, उनमें कनाडा में आवास और संसाधनों की कमी, अंतरराष्ट्रीय आबादी को कंट्रोल करने की कोशिश आदि शामिल हैं. इस वर्ष हुए नीतिगत बदलावों के तहत कनाडा सरकार ने 2025 के लिए 4,37,000 नए स्टडी परमिट की सीमा तय की है. इनमें पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम सहित कई स्तर की शिक्षा शामिल हैं. नए नियमों के तहत प्रक्रिया को और ज्यादा सख्त कर दिया गया है.

वीजा प्रक्रिया में अन्य बदलाव (Canada ends fast-track visa programme)

हाल ही में वीजा प्रक्रिया में और बदलाव किए हैं. जनवरी 2024 से एकल आवेदकों को यह प्रमाणित करना होगा कि उनके पास कम से कम CA$ 20,635 (लगभग ₹12.7 लाख) की वित्तीय स्थिति है, जो पहले CA$ 10,000 थी. इसके अलावा, दिसंबर 2023 से सभी कनाडाई शैक्षणिक संस्थानों को वीजा आवेदकों के प्रवेश पत्र की वैधता की पुष्टि करनी होगी. इन बदलावों से भारतीय छात्रों के लिए कनाडा में पढ़ाई करना पहले से अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है और आने वाले वर्षों में कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में गिरावट देखने को मिल सकती है.